बताया जा रहा है कि पाटीदार नेताओं और कांग्रेस के बीच चार मुद्दों पर तो सहमति बन गई, लेकिन एक मुद्दा ऐसा है, जिस पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी.
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नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर तेज राजनीतिक सरगर्मियों के बीच कांग्रेस राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जुटी हुई है. इसी क्रम में उसकी नज़र पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर हैं, जिन्हें अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी जोरशोर से लगी हुई है. हालांकि पार्टी अपनी इस कोशिश में काफी हद तक सफल भी होती दिख रही है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे मद्दे हैं, जिन पर हार्दिक और कांग्रेस के बीच 'बातचीत' खटाई में पड़ सकती है. इस पूरी बातचीत में 'एक पेंच' अभी तक फंसा हुआ है.
दरअसल, हाल ही में पाटीदार नेताओं के एक दल ने गुजरात के कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी से मुलाकात भी की थी, जिसमें इनके बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई. बताया जा रहा है कि इनमें से पाटीदार नेताओं और कांग्रेस के बीच चार मुद्दों पर तो सहमति बन गई, लेकिन एक मुद्दा ऐसा है, जिस पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी. पाटीदार नेताओं की इस पांचवीं मांग पर अभी भी संशय बना हुआ है.
ये हैं वो पांच मुद्दे...
1. बताया जा रहा है आरक्षण आंदोलन के बाद पाटीदार समाज के जिन लोगों पर केस दर्ज लिए गए उन्हें वापस लिया जाए... कांग्रेस ने इस बात को मान लिया है.
2. कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 590 में से करीब 290 मामले वापस लिए जाएंगे. इसके साथ ही राजद्रोह के मामले भी वापस लिए जाएंगे.
3. पाटीदारों की मांग है कि हिंसा में पीडि़त पाटीदार समाज के लोगों को 35 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिया जाए. साथ ही परिवार के एक सदस्या को नौकरी भी दी जाए. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इस मांग को भी मान लिया है. साथ ही पाटीदारों ने यह भी मांग की है कि आंदोलन के दौरान गोलीबारी और लाठीचार्ज करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. कांग्रेस ने इस बाबत आश्वासन दिया है कि सरकार में आने पर इस संबंध में एक जांच समिति बनाकर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
4. सरकार बनने पर कांग्रेस ने 600 करोड़ के आयोग को 2000 करोड़ रुपये ले जाने का वादा किया है साथ ही इसे संवैधानिक आधार पर लागू करने और केंद्रीय दर्जा देने की बात भी कही गई है.
5. बताया जा रहा है कि पटेलों की मुख्य मांग आरक्षण को लेकर इस हालिया बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया गया. कहा जा रहा है कि आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस ने तकनीकी मानते हुए इस पर कानूनी राय लेने की बात कही है.
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सूत्र बताते हैं कि इन चार मांगों को माने जाने के बाद हार्दिक पटेल का रुख कांग्रेस के प्रति थोड़ा नरम हुआ है. पांचवीं मांग को लेकर हार्दिक ने कहा है कि आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने जो कानूनी राय लेने की बात कही है, वह उसके लिए इंतजार करने को तैयार हैं. उल्लेखनीय है कि राज्य में 1995 से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस पाटीदार समुदाय को अपने साथ लेकर चलना चाह रही है और उनके जरिये अपनी चुनावी नैया को पार लगाना चाहती है.