गुजरात का आतंकवाद निरोधक बिल राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा गया
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गुजरात का आतंकवाद निरोधक बिल राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा गया

नरेंद्र मोदी सरकार ने गुजरात विधानसभा द्वारा पारित एक विवादास्पद आतंकवाद निरोधक विधेयक को मंजूरी देकर राष्ट्रपति की मुहर के लिए उनके पास भेजा है जिसे पिछली संप्रग सरकार ने दो बार स्वीकृति देने से मना कर दिया था।

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने गुजरात विधानसभा द्वारा पारित एक विवादास्पद आतंकवाद निरोधक विधेयक को मंजूरी देकर राष्ट्रपति की मुहर के लिए उनके पास भेजा है जिसे पिछली संप्रग सरकार ने दो बार स्वीकृति देने से मना कर दिया था।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2015 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के लिए उन्हें भेज दिया गया है। विधेयक उस समय से लंबित पड़ा है जब मोदी ने ही बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री इसे सबसे पहले 2003 में पेश किया था।

विधेयक में किसी आरोपी के मोबाइल फोन कॉल के पकड़े गये अंशों के माध्यम से एकत्रित सबूतों को या किसी जांच अधिकारी के समक्ष इकबालिया बयान को अदालत में स्वीकार्य किये जाने का प्रावधान है।

केंद्र की मोदी सरकार ने जुलाई में इस विवादस्पद विधेयक को राज्य सरकार को वापस भेजकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा उठाये गये कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण देने को कहा था। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने विधेयक में उस प्रावधान का विरोध किया था जो टेलीफोन बातचीत को बीच में पकड़ने को और सबूत के तौर पर किसी अदालत में उसकी स्वीकार्यता को अधिकृत करता है।

गुजरात सरकार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय की आपत्तियों का पुरजोर विरोध किया था। गुजरात सरकार ने समवर्ती सूची में अंकित विषयों का उल्लेख किया था जिनके तहत केंद्र और राज्य सरकार की आपराधिक कानून और आपराधिक प्रक्रिया बनाने की साझा जिम्मेदारी होती है। केंद्र सरकार ने इसमें आरोपपत्र दाखिल करने की समयसीमा अन्य केंद्रीय मंत्रालयों से परामर्श के बाद 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने के प्रावधान को स्वीकृति दी है। गुजरात विधानसभा ने मार्च में इस विधेयक को पारित किया था।

 

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