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अहमदाबाद : इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ कांड की जांच करने वाली सीबीआई ने आज मामले के एक प्रमुख आरोपी आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा की जमानत याचिका का विरोध किया।
अभियोजक एल डी तिवारी ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश के आर उपाध्याय के समक्ष दलील दी कि केवल इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती कि आरोपी लंबे समय से सलाखों के पीछे है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसे ही एक मामले में कहा था कि इस तरह के गंभीर अपराध में जमानत देना सिविल सोसायटी को खुली चुनौती के समान होगा।
वंजारा की याचिका में उल्लेख है कि वह सात साल से अधिक समय से जेल में हैं। उनके बचाव में कहा गया है कि वह केवल अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका नाम मूल प्राथमिकी में नहीं था लेकिन सीबीआई ने बदले की भावना से उनके खिलाफ आरोप तय किये।
हालांकि तिवारी ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप तय करने में कुछ गलत नहीं है और क्योंकि जांच में बाद में उनकी भूमिका प्रकाश में आई। अदालत ने आज सह-आरोपी पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पी पी पांडेय की जमानत अर्जी पर भी सुनवाई की। पांडेय के वकील एन डी नानावती ने कहा कि सीबीआई ने एक आरोपी को सरकारी वकील बना लिया और उसे जमानत मिल गयी। मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।