आरक्षण आंदोलन: हिंसा में सुलगे गुजरात में तनावपूर्ण शांति; अब तक 10 लोग मरे, हार्दिक पटेल ने दी चेतावनी
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आरक्षण आंदोलन: हिंसा में सुलगे गुजरात में तनावपूर्ण शांति; अब तक 10 लोग मरे, हार्दिक पटेल ने दी चेतावनी

गुजरात में पटेल समुदाय की ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान दो दिन तक हिंसा के बाद गुरुवार को तनावपूर्ण शांति रही जहां हार्दिक पटेल ने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी, वहीं हिंसा में मृतक संख्या 10 पहुंच गई।

आरक्षण आंदोलन: हिंसा में सुलगे गुजरात में तनावपूर्ण शांति; अब तक 10 लोग मरे, हार्दिक पटेल ने दी चेतावनी

अहमदाबाद : गुजरात में पटेल समुदाय की ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान दो दिन तक हिंसा के बाद गुरुवार को तनावपूर्ण शांति रही जहां हार्दिक पटेल ने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी, वहीं हिंसा में मृतक संख्या 10 पहुंच गई।

आंदोलन की अगुवाई कर रहे 22 साल के हार्दिक पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की शांति की अपीलों के बावजूद आज अपना आक्रामक रख जारी रखा और अपने समुदाय के किसानों से शहरों में सब्जियों तथा दूध जैसी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति नहीं करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग का समर्थन करने को कहा। उन्होंने राज्य में फैली हिंसा में मारे गये समुदाय के प्रत्येक सदस्य के परिजनों को 35-35 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की।

गुजरात विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा जहां नारेबाजी कर रहे कांग्रेसी विधायकों को सदन से दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। कल से राज्य में तैनात सेना ने अहमदाबाद में फ्लैग मार्च किया ताकि लोगों में हिंसा के बाद विश्वास का माहौल पैदा हो। सूरत और मेहसाणा में भी सेना तैनात की गयी है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आज रेल यातायात पूरी तरह बाधित रहा जहां कम से कम आठ स्थानों पर प्रदर्शनकारी पटरी उखाड़ चुके हैं। जिला कलेक्टर राजकुमार बेनीवाल ने संवाददाताओं से कहा कि पूरे अहमदाबाद जिले से आज कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं आई। सरकारी और निजी कार्यालय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, शॉपिंग कांप्लेक्स और दुकानें खुली रहीं। बेनीवाल ने कहा कि सड़क यातायात भी सामान्य है। हालात नियंत्रण में हैं और शहर में शांति व्याप्त है। उन्होंने कहा कि सेना की पांच कंपनियों ने (करीब 500 जवानों ने) हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया। सूरत शहर में कल रात से कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आने के बाद शहर से कफ्र्यू हटा लिया गया है। पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने कहा कि हमने सूरत में दो इलाकों से सुबह आठ बजे से कफ्र्यू हटा लिया है। शहर में स्थिति सामान्य है और शांति है। दुकानें खुली हैं, लोग अपने काम पर गये और कारखाने खुले। अनेक स्थानों पर हमारे अधिकारी मौजूद हैं और पुलिस गश्त जारी है। इस मुद्दे पर विधानसभा में हंगामे के बाद विपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला को छोड़कर सदन में मौजूद सभी कांग्रेसी विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया।

अहमदाबाद शहर के निकोल इलाके के मनीष वलादिया नामक शख्स की आज एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गयी, जो कल हिंसा के दौरान घायल हो गया था। अधिकारियों के मुताबिक आज मृतक संख्या 10 हो गयी। आंदोलन के दौरान हिंसा में अहमदाबाद में पांच लोगों की मौत के मामले सामने आये। सूरत और पाटन जिलों से एक एक इस तरह का मामला आया और बनासकांठा जिले में तीन लोग मारे गये। राजकोट और पाटन जिलों में कर्फ्यू हटा लिया गया है जहां हालात दो दिन तक हिंसा के बाद सामान्य हो रहे हैं। पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता प्रदीप शर्मा ने कहा कि राज्य में रेल यातायात बाधित रहा और कई ट्रेनें रद्द कर दी गयीं। प्रदर्शनकारियों ने आठ स्थानों पर रेल पटरियों को नुकसान पहुंचाया है।

अहमदाबाद से दिल्ली जाने वाले राजधानी एक्सप्रेस समेत कम से कम 55 ट्रेनें आज आंदोलन की वजह से रद्द रहीं। वहीं 26 अन्य ट्रेनों का परिचालन आंशिक रूप से प्रभावित रहा। पश्चिम रेलवे के पीआरओ के बयान के अनुसार आंदोलन की वजह से 15 ट्रेनों के मार्ग बदलकर उन्हें राज्य के बाहर से संचालित किया गया। इस बीच गुजरात उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त को हिंसा के दौरान यहां सोला इलाके में एक आवासीय सोसायटी में वर्दी पहने पुलिसकर्मियों द्वारा वाहनों के साथ तोड़फोड़ की सीसीटीवी तस्वीरों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये हैं। अदालत ने आरोपों के मामले में पुलिस आयुक्त को जांच करने और दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है।

हार्दिक ने राज्य सरकार से अपनी मांग के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा कि सबसे पहले उन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया जाए जो हमारे लोगों पर ज्यादती में शामिल थे। इस आंदोलन में शहीद हो गये हमारे बच्चों को 35-35 लाख रपये का मुआवजा दिया जाए। हार्दिक ने कहा कि मैं अपने किसान भाइयों से अनुरोध करंगा कि सब्जियों और दूध की आपूर्ति नहीं करें और शहरों में जरूरी सामान नहीं पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)  के तहत आरक्षण की मांग पूरी नहीं की जाती, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। हार्दिक ने कहा कि हम शांति से रहते हैं लेकिन अगर वे हम पर हमला करेंगे तो हम उन्हें कभी नहीं छोड़ेंगे। गुजरात में हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है, इस सवाल पर 22 वर्षीय हार्दिक ने पुलिस, राज्य सरकार और कुछ असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि आंदोलन 55 दिन तक शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा लेकिन जब पटेल समुदाय के 20 लाख लोग जीएमडीसी मैदान में एकत्रित हुए तो उन्होंने (राज्य सरकार ने) उस दिन हिंसा को भड़काया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि हम अखबारों की सुखिर्यों में आएं। हार्दिक ने यहां अपने रैली स्थल पर शहर पुलिस की कार्रवाई के संदर्भ में कहा कि पुलिस ने हमारे युवकों और बहनों पर जिस तरह से अत्याचार किये, उससे हमें जलियांवाला बाग कांड की याद आती है। उन्होंने यहां जनरल डायर की तरह कार्रवाई की। जम्मू कश्मीर की तीन दिन की यात्रा पर गये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पटेलों के आरक्षण आंदोलन के दौरान गुजरात में हुई हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आज कहा कि यह मोदी की ‘गुस्से की राजनीति’ का नतीजा है। उन्होंने श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर स्थित पंपोर शहर के एक गांव में किसानों की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री :नरेंद्र: मोदी गुस्से की राजनीति कर रहे हैं और ऐसी राजनीति का उल्टा असर होता है जो कि आप गुजरात में देख रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री और प्रदेश की आनंदीबेन पटेल सरकार पर आरक्षण आंदोलन के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने में विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि इसी वजह से प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई।

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