गुजरात के एक गांव में नाबालिग लड़कियों के मोबाइल रखने पर पाबंदी
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गुजरात के एक गांव में नाबालिग लड़कियों के मोबाइल रखने पर पाबंदी

गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में नाबालिग लड़कियों के लिए मोबाइल फोन रखने या उसका इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध इस दावे के साथ लगाया गया है कि गैजेट इन लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से भटकाते हैं।

फाइल फोटो (प्रतीकात्मक)

अहमदाबाद: गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में नाबालिग लड़कियों के लिए मोबाइल फोन रखने या उसका इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध इस दावे के साथ लगाया गया है कि गैजेट इन लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से भटकाते हैं।

हाल ही में लगाया गया यह प्रतिबंध मेहसाणा की काडी तालूका स्थित सूरज गांव की पंचायत ने लागू किया है। नाबालिग लड़कियों को यदि मोबाइल पास रखते हुए या उसका इस्तेमाल करते हुए पाया गया तो उनपर 2100 रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा। उन्हें अपने माता-पिता के मोबाइल फोनों का इस्तेमाल सिर्फ घर के भीतर ही करने की आजादी होगी।

गांव के सरपंच देवशी वांकर के अनुसार, यह फैसला पंचायत ने सर्वसम्मति से लिया है क्योंकि अधिकतर ग्रामीणों को लगता है कि मोबाइल फोन लड़कियों और उनके माता-पिता के लिए परेशानियां पैदा कर रहे हैं। गांव की पंचायत ने सेल फोनों को एक ऐसा जरिया भी माना, जिसका इस्तेमाल युवा प्रेमी-प्रेमिका घरों से भागने के लिए करते हैं।

वांकर ने कहा, ‘सभी ग्रामीण उन स्कूली लड़कियों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए सहमत हो गए हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। सभी समुदाय के लोग इस पर सहमत हुए हैं, फिर चाहे वे दलित हों, पटेल हों, ठाकुर हों या रबाड़ी। हमने इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर 2100 रूपए का जुर्माना लगाया है।’

वांकर ने कहा, ‘लड़कियों को अपने माता पिता के मोबाइल का इस्तेमाल अपने घर के अंदर और उनकी देखरेख में करने की इजाजत है। लेकिन वे मोबाइल लेकर गांव में नहीं घूम सकतीं।’ यह प्रतिबंध सिर्फ स्कूली छात्राओं तक सीमित है और कॉलेज जाने वाली युवतियों को पंचायत ने छूट दी है।

वांकर ने कहा, ‘कॉलेज की लड़कियां अच्छे और बुरे में भेद करने के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व होती हैं। इसके अलावा, उन्हें अपने माता-पिता के संपर्क में रहने के लिए मोबाइल फोन की जरूरत होती है क्योंकि कॉलेज हमारे गांवों में नहीं बल्कि पास के शहरों में होते हैं।’ नाबालिग लड़कियों पर प्रतिबंध को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि यह नियम लड़कियों को इस तकनीक से ‘बचाने’ के लिए जरूरी है।

वांकर ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि आज की दुनिया में मोबाइल फोनों के कारण क्या होता है। यह कलियुग है। यह वाट्सएप का दौर है, जिसमें लोग छिपकर एक-दूसरे से बातें करते हैं। हम लड़कियों को उन लोगों से बचाना चाहते हैं, जो इन मासूम लड़कियों का नंबर ले लेते हैं, उन्हें परेशान करते हैं या इन्हें लुभाने की कोशिश करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने यह भी पाया है कि स्कूल की छात्राओं का मन मोबाइल फोनों के कारण भटक रहा है क्योंकि वे इसपर गेम खेलती हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगातीं। उनके गरीब माता-पिता पर इन मोबाइल फोनों को रीचार्ज करवाने का अतिरिक्त भार पड़ता है।’’ पूर्व सरपंच रामजी ठाकुर ने दावा किया कि हाल के समय में नाबालिग लड़कियों के लड़कों के साथ भाग जाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है और इसके पीछे की मुख्य वजह मोबाइल फोन रहे हैं।

ठाकुर ने कहा, ‘मैं हाल के समय में ऐसी कई घटनाओं का गवाह रहा हूं। हाल में हुई पंचायत की बैठक के दौरान ग्रामीणों ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि किस तरह से लड़के लड़कियों से संपर्क करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सुविधा के कारण, वे एकसाथ भागने की योजना बना लेते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया कि नाबालिग लड़कियों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल से रोका जाए।’

 

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