PM मोदी ने दिया था 'सूर्यपुत्र' देश का नाम, अब गुरुग्राम में बनेगा ISA का मुख्यालय
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PM मोदी ने दिया था 'सूर्यपुत्र' देश का नाम, अब गुरुग्राम में बनेगा ISA का मुख्यालय

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को इसकी भव्य इमारत बनाने का काम सौंपा गया है.

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावना वाले 121 देशों ने आईएसए का नवंबर 2015 में गठन किया था.

नई दिल्ली: गुरुग्राम में बनने वाला 100 से ज्यादा 'सूर्यपुत्र' देशों का मुख्यालय पूरी तरह से हरित भवन होगा. इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) की इस चार मंजिला इमारत में ऊर्जा एवं जल संरक्षण सहित पर्यावरण संरक्षण के सभी मानकों का पालन किया जायेगा. अगले दो साल में यह बनकर तैयार हो जाएगी. आईएसए के मुख्यालय की भवन निर्माण कार्ययोजना के मुताबिक विशेष आकार वाली इसकी इमारत पृथ्वी की तरह होगी जिसे चारों ओर से सदस्य देशों के हाथों की एक आकृति का सहारा दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आइएसए के सदस्य देशों को ‘सूर्यपुत्र’ का नाम दिया.

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को इसकी भव्य इमारत बनाने का काम सौंपा गया है. मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 'सौर भवन' की परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी प्रदान कर दी है. सरकार ने गुरुग्राम के ग्वाल पहाड़ी क्षेत्र में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के परिसर में आईएसए के मुख्यालय के रूप में अपने तरह की अनूठी इमारत के लिये लगभग पांच एकड़ जमीन का आवंटन कर दिया है. इस पर लगभग 90 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से दो साल के भीतर इमारत का निर्माणकार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावना वाले 121 देशों ने आईएसए का नवंबर 2015 में गठन किया था. अंतरसरकारी संगठन के रूप में गठित आईएसए का मकसद कर्क एवं मकर रेखा के आसपास स्थित सदस्य देशों में सौर ऊर्जा का अधिकतम दोहन कर जीवाश्म ईंधन पर ऊर्जा की निर्भरता में कमी लाना है. पीएम मोदी ने आइएसए के सदस्य देशों को 'सूर्यपुत्र' का नाम दिया था. पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण संबंधी पेरिस समझौते के तहत 2030 तक सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के लिये 1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश लक्ष्य की प्राप्ति में सूर्यपुत्र देशों के संयुक्त प्रयासों को आईएसए के माध्यम से फलीभूत बनाना है. 

इसकी कार्ययोजना पर अब तक 75 सदस्य देश हस्ताक्षर कर चुके हैं और इनमें से 54 देशों की संसद से इसे मंजूरी भी मिल गयी है. आईएसए के कामकाज का संचालन राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान स्थित संगठन के अस्थाई सचिवालय से किया जा रहा है. 

आधुनिक भवन निर्माण कला का विशिष्ट नमूना पेश करने वाली इस इमारत के आसपास कुछ कृत्रिम जलाशयों के अलावा इमारत की छत पर एक बगीचा (रूफ गार्डन) भी बनाया जायेगा. इमारत को पृथ्वी की तरह गोल आकार देने के लिये स्टील के कुछ पाइप से घेरा जायेगा. ये पाइप स्प्रिंकलर के रूप में रूफ गार्डन में सिंचाई के काम भी आयेंगे. इसकी कार्ययोजना के मुताबिक समूचे भूभाग को ऐसा स्वरुप प्रदान किया जायेगा जिससे यह दूर से सूरजमुखी के फूल की तरह दिखेगी. 

इसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की बैठक एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिये विभिन्न आकार के सभागार और पर्यावरण प्रयोगशालाओं का निर्माण किया जायेगा. इसमें सभी सदस्य देशों के वैज्ञानिक निरंतर शोध एवं प्रशिक्षण के काम को कर सकेंगे. इसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों एवं प्रशिक्षुओं के लिये एक आवासीय परिसर भी बनाया जायेगा.

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