Gyanvapi Survey ASI: ज्ञानवापी (Gyanvapi) का ASI सर्वे इस पूर विवाद को खत्म करने में अहम रोल अदा करने वाला है. आज से सर्वे की शुरुआत हुई है और 4 अगस्त को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है. सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष सवाल भी उठा रहा है. मगर हिंदू पक्ष ने सच सामने लाने की वकालत की है. आइए जानते हैं कि ASI का सर्वे क्यों खास है? बता दें कि ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार का भी सर्वे किया जाएगा जिसकी उम्र का पता लगते ही हिंदू पक्ष दावा मजबूत हो जाएगा. इसके अलावा ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों का जीपीआर सर्वे (GPR Survey) भी किया जाएगा. इससे क्या-क्या खुलासे होंगे, ये हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है.


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ज्ञानवापी का सच आएगा सामने


ज्ञानवापी का सच क्या है ये बहुत जल्द सबके सामने आ जाएगा. ASI की सर्वे रिपोर्ट के बाद सबकुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के अपने-अपने दावे हैं. इन दावों की हकीकत का पता लगाने के लिए ही मामला कोर्ट में है और कोर्ट के आदेश पर ही सच का पता लगाने की कवायद चल रही है.


क्या मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद?


याचिकाकर्ता सीता साहू ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी के मस्जिद होने का दावा करता है लेकिन हिंदू पक्ष का दावा है ये जगह भगवान भोलेनाथ की है और सदियों से बाबा यहां विराजमान हैं. बाबा के मंदिर को तोड़कर ही औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनाई. इसी दावे को सच साबित करने के लिए सर्वे के सहारे सबूत मिलने की उम्मीद है.


GPR सर्वे से होगा ये खुलासा


वहीं, याचिकाकर्ता रेखा पाठक ने कहा कि ASI के सर्वे के जरिए बहुत सारी बातें साफ होंगी. सर्वे में ये पता चलेगा कि मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार की उम्र क्या है? यानी ये दीवार कब बनाई गई थी? अगर दीवार 15वीं शताब्दी से पुरानी हुई तो हिंदू पक्ष का दावा खुद ही मजबूत हो जाएगा. इसके अलावा परिसर में मौजूद 3 गुंबदों के नीचे GPR तकनीक से सर्वे के जरिए ये पता लगेगा कि मौजूदा इमारत हिंदू मंदिर को तोड़कर तो नहीं बनाई गई.


ज्ञानवापी परिसर में मिल चुकी हैं ये चीजें


बता दें कि इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की संख्या, उम्र और प्रकृति से ये पता लगाया जाएगा कि इनका संबंध सनातन से है या नहीं इसके सबूत जुटाए जाएं. इमारत के नीचे की संरचना और और उनके ऐतिहासिक, धार्मिक महत्व का भी पता लगेगा कि ये सनातन या इस्लाम किस धर्म से जुड़े हो सकते हैं.


गौरतलब है कि ASI को अपनी सर्वे रिपोर्ट 4 अगस्त को कोर्ट में देनी है इसीलिए सबकुछ बहुत तेजी से होने की उम्मीद है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही बहुत कुछ साफ हो जाएगा. ASI के सर्वे से पहले कोर्ट कमिश्वर अजय मिश्रा ने मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था. इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, परिसर की दीवारों पर देवी-देवताओं की कलाकृति, कमल की कुछ कलाकृतियां और शेषनाग जैसी आकृति मिलने की बात कही गई थी, जिसके बाद से ही हिंदू पक्ष अपने दावे को मजबूत बताता रहा है.


हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर पहली बार 1991 में वाराणसी की अदालत में मुकदमा दाखिल किया गया था. हालांकि इसका विवाद तब बढ़ा जब 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन और दर्शन की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद मामले की सुनवाई होती रही और 26 अप्रैल 2022 में वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे और उसकी वीडियो ग्राफी के आदेश दिए.


फिर मई 2022 में सिविल कोर्ट के सर्वे कराने के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से पहले ही मई 2022 में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया गया. सर्वे रिपोर्ट मिलते ही वाराणसी सिविल कोर्ट ने परिसर के उस इलाके को सील करने का आदेश दिया, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था.


ज्ञानवापी विवाद पर 17 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने 'शिवलिंग' की सुरक्षा वुजूखाने को सील करने का आदेश दिया, लेकिन मस्जिद में नमाज जारी रखने की इजाजत दी. 11 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी वुजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी संरचना को संरक्षित करने का आदेश दिया. इस पूरे मामले में 21 जुलाई को वाराणसी के जिला जज ने ASI सर्वे का आदेश दिया.


गौरतलब है कि ज्ञानवापी को लेकर सबके अपने दावे हैं और अपनी दलील है. मगर ज्ञानवापी में पिछले सर्वे के दौरान जो सबूत मिले और अब ASI को सर्वे में जो तथ्य मिलेंगे उससे पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी.


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