भारत के आधे बच्चे मानसिक रूप से बीमार, हर 7 में से 1 डिप्रेशन का शिकार
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भारत के आधे बच्चे मानसिक रूप से बीमार, हर 7 में से 1 डिप्रेशन का शिकार

UNICEF Report On Mental Health: यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान भारत में 40 प्रतिशत बच्चे डिजिटल क्लासरूम तक नहीं पहुंच पाए. इंटरनेट और सुविधाओं की कमी ने बच्चों की पढ़ाई में रुकावट डाली, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा.

प्रतीकात्मक फोटो | फोटो साभार: Pexels

नई दिल्ली: भारत में हर 7 में से एक किशोर को डिप्रेशन (Depression) है. लेकिन भारत में बच्चे अपनी मानसिक परेशानियों को लेकर मदद लेने के बारे में नहीं सोचते. डिप्रेशन और दूसरी मानसिक बीमारियों के शिकार आधे में से भी कम बच्चों को लगता है कि उन्हें इलाज की जरूरत है. ये जानकारी आज (मंगलवार को) यूनिसेफ (UNICEF) ने बच्चों की मानसिक सेहत पर जारी रिपोर्ट में दी. The State of the World’s Children 2021- On My Mind को आज जारी किया गया.

  1. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जताई चिंता
  2. 10 अक्टूबर को है वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे
  3. 21 देशों में यूनिसेफ ने किया सर्वे

21 देशों के 20 हजार बच्चों पर हुआ सर्वे

भारत में 15 से 24 वर्ष के 41 प्रतिशत बच्चों ने मानसिक बीमारी के लिए मदद लेने की बात कही लेकिन 21 देशों में करीब 83 प्रतिशत बच्चे इस बात को लेकर जागरूक दिखे कि मानसिक परेशानियों के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए. मानसिक परेशानी के हल के लिए भारतीय किशोर और युवा ही सबसे कम मदद मांगने को लेकर जागरूक दिखे. बाकी देशों में 56 से 95 प्रतिशत किशोरों और युवाओं ने माना कि मन की परेशानियों के लिए मदद की जरूरत होती है.

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रन 2021 (The State of the World’s Children 2021) के मुताबिक, 15 से 24 वर्ष के 14 प्रतिशत युवा डिप्रेशन से गुजर रहे हैं. जापान और इथोपिया जैसे देशों में जहां हर 10 में से 1 बच्चे को डिप्रेशन है तो वहीं भारत में हर 7 में से एक बच्चा डिप्रेशन का शिकार है. 21 देशों के औसत के हिसाब से हर पांच में से एक बच्चे को डिप्रेशन है.

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इसी तरह दुनियाभर में 10 से 19 वर्ष के हर 7 में से एक बच्चे को कोई ना कोई घोषित मानसिक परेशानी है. यानी इलाज और जांच के जरिए उसे मानसिक तौर पर बीमार पाया गया है. इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोरोना महामारी के दौर से पहले भी तकरीबन 5 करोड़ बच्चों को कोई ना कोई मानसिक परेशानी रही है और इनमें से तकरीबन 90 प्रतिशत ने इलाज करने के बारे में नहीं सोचा.

इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी मानसिक बीमारियों के बारे में अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने ट्वीट किया, 'Mental Health के बारे में बात करना कितना आवश्यक है, यह मैंने स्वयं महसूस किया है. जब दूसरी लहर आई, मेडिसिन, Oxygen की समस्या थी, सभी ओर से मांग आ रही थी. इन सबसे मुझे भी मानसिक तनाव हो जाता था. उस समय मैं रोज सुबह Cycling, योगा करता था, जिससे आराम मिलता था.'

कोरोना ने बढ़ाया मानसिक तनाव

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल में पढ़ाई से दूरी, खेल से दूरी, दोस्तों से दूरी और परिवार में पैसे का तनाव ऐसी कई मुश्किलों ने बच्चों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. यूनिसेफ का आंकलन बताता है कि भारत में 40 प्रतिशत बच्चे डिजिटल क्लासरूम तक नहीं पहुंच सके. सुविधाओं और इंटरनेट के अभाव ने बच्चों की पढ़ाई में बाधा खड़ी की जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत को मानसिक बीमारियों की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. WHO के मुताबिक, 2012 से लेकर 2030 तक भारत पर मानसिक बीमारियों का बोझ देश को 1 लाख तीन हजार करोड़ का नुकसान करवा सकता है. ये अनुमान 2020 में WHO ने अपनी एक रिपोर्ट में लगाया है.

डॉक्टर यास्मीन अली ने कहा कि इस रिपोर्ट में हमने देखा है कि 7 बच्चों में से 1 बच्चे में मेंटल हेल्थ इशू दिखाई देता है. ये गहरा भी हो सकता है और मामूली भी. हम बच्चों पर सही से ध्यान ना दें तो वो गहरा हो जाता है. बच्चो में भी स्कूल का स्ट्रेस होता है. घर में माता-पिता में स्ट्रेस हो तो उसका बच्चों पर भी असर पड़ता है. स्कूल में और सोसाइटी में लोग कैसे उनसे Behave कर रहे हैं उसका भी असर होता है. कोरोना के कारण भी बड़ा इफेक्ट है. कुछ ने पेरेंट्स खोए हैं, रूटीन बदला है, स्कूल जाना और खेलने जाना वो सब बंद हो गए थे उसका असर पड़ा है.

मानसिक तनाव का हल कैसे निकालें?

रिपोर्ट में ये भी निष्कर्ष निकाला गया कि आपके जीन्स यानी माता-पिता से विरासत में मिले फैक्टर्स, आपके अनुभव और आसपास का माहौल यानी आपकी परवरिश, स्कूल, रिश्ते, आपका हिंसात्मक माहौल में पलना-बढ़ना, भेदभाव, गरीबी और शारीरिक बीमारियां ये सब मिलकर आपके दिमाग की सेहत को बनाते या बिगाड़ते हैं. अगर आपको प्यार का माहौल मिला है, अच्छे स्कूल में आप पढ़ पाए हैं और आपसी रिश्तों में तनाव नहीं है तो मानसिक परेशानियां घट जाती हैं. 10 अक्टूबर को World Mental Health Day है.

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