हापुड़ : वह घर आया और 'तलाक, तलाक, तलाक' बोलकर चला गया
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हापुड़ : वह घर आया और 'तलाक, तलाक, तलाक' बोलकर चला गया

लोकसभा में साथ देने वाली कांग्रेस ने उच्च सदन में तीन तलाक बिल का विरोध किया. कांग्रेस के विरोध के चलते यह बिल शीतकालीन सत्र में पास नहीं हो सका. 

पीड़िता ने बताया कि सुसराल वाले अक्सर दहेज की मांग किया करते थे

हापुड़ : जब से सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया है तब इस तीन तलाक के मामले और ज्यादा देखने में आ रहे हैं. हालांकि तीन तलाक पर सजा दिए जाने का कानून बनाने में सरकार राज्यसभा में फेल साबित हुई है. ताजा मामला दिल्ली के नजदीक हापुड़ जिले में देखने में आया है. यहां एक महिला को उसके पति ने मायके में रहने और खर्च के लिए पैसे मांगने पर तीन बार तलाक बोलकर उससे मुक्ति पाने का मामला सामने आया है. पीड़ित महिला अपने बेटे के इलाज के लिए मायके में रह रही थी. महिला ने इस मामले में न्याय के लिए पुलिस से गुहार लगाई है.

  1. हापुड़ में तीन तलाक का मामला उजागर
  2. मायके में रह रही पत्नी को दिया तीन तलाक
  3. बेटे के इलाज के लिए पैसे मांगे थे पति से

बेटे के इलाज के लिए मायके आई थी पीड़िता
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, मोहल्ला मजीदपुरा में रहने वाली मोसिना का निकाह तीन साल पहले गांव सरावा के नदीम से हुआ था. कुछ दिन पहले ये दोनों काम के सिलसिले में गाजियाबाद के डासना में रहने लगे थे. यहां नदीम की दुकान है. मोसिना ने आरोप लगाया कि सुसराल वाले उससे आए दिन दहेज की मांग किया करते थे. महिला ने बताया कि बेटे के इलाज के कारण पिछले एक महीने से वह हापुड़ में रह रही थी. उसके 14 महीने के बेटे को खून की कमी है और हापुड़ में उसका इलाज चल रहा है.

हापुड़ के एएसपी राममोहन सिंह ने बताया कि पीड़िता गुरुवार की शाम पुलिस के पास आई और बताया कि उसके पति ने उसे तीन तलाक बोलकर छुटकारा पा लिया है. महिला ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं देने के कारण वह मायके में रहकर बेटे का इलाज करा रही थी. महिला ने बताया कि उसका पति बृहस्पतिवार को अपनी ससुराल पहुंचा और उसे तीन बार तलाक बोल दिया. शाम के समय पीड़िता अपने भाइयों के साथ थाने पहुंची और तहरीर दी. पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसका पति उसके साथ आए दिन मारपीट भी किया करता था. पुलिस ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज मामले की जांच शुरू कर दी है.

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कांग्रेस के विरोध के कारण तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था

सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया गैर कानूनी
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 11 मई को Triple तलाक पर ऐतिहासिक सुनवाई शुरू की थी. 22 अगस्त को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से फ़ैसला दिया कि ट्रिपल तलाक़ को ख़ारिज किया जाता है. ट्रिपल तलाक़ संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन है. अदालत ने कहा कि ट्रिपल तलाक़ क़ुरान के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है.

लोकसभा में पास हुआ बिल
दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 पेश किया गया, जो पास हो गया. एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसमें तीन संसोधन की मांग रखी थी, जो वोटिंग के दौरान औंधे मुंह गिर गया. लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तीन तलाक बिल के पास होने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि लोकसभा में तीन तलाक बिल पर अभी तक के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज हो चुके हैं. ओवैसी के तीसरे संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ एक वोट पड़ा. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने भारत में तीन तलाक पर बैन लगाने वाले विधेयक मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 के पास होने की घोषणा कर दी. इस विधेयक की खास बात यह है कि इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन साल तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

राज्यसभा में नहीं हुआ पास
लोकसभा में पास होने के बाद सरकार ने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया. लेकिन उच्च सदन में बहुमत नहीं होने के कारण यह बिल पास नहीं पाया. लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली कांग्रेस ने राज्यसभा में इसका विरोध किया. कांग्रेस ने बिल के सेलेक्ट कमेटी के पास भेजेने की मांग की थी. सरकार ने दलील दी कि इतना समय नहीं है कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए और कहा कि बिल पर सभी दलों से सुझाव मांग कर ही इसे पेश किया गया है. लेकिन कांग्रेस ने सरकार के तर्क को नहीं माना और बिल पास नहीं होने दिया.

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