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ब्रह्मपुत्र पर चीन की हरकत का माकूल जवाब देने की तैयारी, ड्रैगन को लगेगा तगड़ा 'करंट'!

इस योजना का उद्देश्य देश में तेजी से बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करना और ऊर्जा सुरक्षा को और बेहतर बनाना है. CEA के अनुसार, यह प्रोजेक्ट न केवल पूर्वोत्तर भारत के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करेगा, बल्कि राष्ट्रीय बिजली ग्रिड की मजबूती में भी बड़ी भूमिका निभाएगा.

ब्रह्मपुत्र पर चीन की हरकत का माकूल जवाब देने की तैयारी, ड्रैगन को लगेगा तगड़ा 'करंट'!

भारत की केंद्रीय बिजली नियोजन संस्था, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) ने एक महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है. संस्था ने बताया कि ब्रह्मपुत्र बेसिन से 2047 तक 76 गीगावॉट से अधिक बिजली के ट्रांसमिशन के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार किया गया है. इस विशाल हाइड्रो पावर परियोजना की अनुमानित लागत करीब 6.4 लाख करोड़ रुपये (लगभग 77 अरब डॉलर) बताई गई है. इस योजना का उद्देश्य देश में तेजी से बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करना और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करना है. CEA के अनुसार, यह प्रोजेक्ट न केवल पूर्वोत्तर भारत के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करेगा, बल्कि राष्ट्रीय बिजली ग्रिड की मजबूती में भी बड़ी भूमिका निभाएगा.

सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का खाका पेश किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना से पूर्वोत्तर भारत में जलविद्युत परियोजनाओं का व्यापक विकास होने की उम्मीद है. इस परियोजना के तहत 12 उप-बेसिनों में कुल 208 बड़ी पनबिजली योजनाओं की पहचान की गई है. इनकी संभावित उत्पादन क्षमता करीब 64.9 गीगावाट बताई जा रही है, जबकि पंप्ड स्टोरेज क्षमता लगभग 11.1 गीगावाट अतिरिक्त होगी. 

भारत के लिए ये योजना आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम
CEA की यह योजना ऐसे समय में आई है जब चीन तिब्बत के कब्जे वाले हिस्से में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी भाग पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना बनाने की तैयारी में है. ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलकर अरुणाचल प्रदेश और असम से गुजरती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में मिलती है. पूर्वोत्तर भारत के लिए जीवन रेखा मानी जाती है. ऐसे में भारत की यह नई योजना न सिर्फ़ ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है बल्कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह और उसके रणनीतिक महत्व को लेकर भू-राजनीतिक संतुलन साधने का भी एक प्रयास माना जा रहा है.

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भारत के लिए क्यों अहम है ये प्रोजेक्ट?
ब्रह्मपुत्र नदी, जो तिब्बत (चीन) से निकलकर भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है. ये नदी अब ऊर्जा और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बनती जा रही है. भारत के लिए यह नदी खासकर अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बिजली उत्पादन का विशाल स्रोत साबित हो सकती है. इस क्षेत्र में बहने वाली तीव्र धाराएं जलविद्युत परियोजनाओं के लिए अनोखी संभावनाएं रखती हैं. लेकिन यही इलाका चीन की सीमा से सटा हुआ होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी अत्यंत संवेदनशील है. उधर चीन ने इसी नदी के ऊपरी हिस्से में दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि इस मेगा हाइड्रो प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 167 अरब डॉलर (लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपये) है और इसके जरिए चीन हर साल 300 अरब यूनिट बिजली उत्पन्न करने का लक्ष्य रखता है.

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Ravindra Singh

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