Rao Narender Singh: राव नरेंद्र 2009 से 2024 हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उसके बाद उनको लगातार तीन चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. राव नरेंद्र पहले हरियाणा जनहित कांग्रेस यानि की हंजका पार्टी के सदस्य हुआ करते थे.
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Haryana News: हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार 2024 में बन गई लेकिन विपक्षी खेमें यानी की कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष चुनने में लंबा समय लग गया. इस लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस ने राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया तो वहीं हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा के लिए नेता प्रतिपक्ष चुना गया.लेकिन अब राव नरेंद्र को अध्यक्ष बनाए जाने पर सवाल उठने लगे हैं की आखिर कांग्रेस ने राव नरेंद्र को इतना बड़ा पद क्यों दिया ? खासकर तब, जब वो लगातार जनता के द्वारा चुनावों में नकारे जा रहे हैं.
दरअसल राव नरेंद्र 2009 से 2024 हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उसके बाद उनको लगातार तीन चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. राव नरेंद्र पहले हरियाणा जनहित कांग्रेस यानि की हंजका पार्टी के सदस्य हुआ करते थे. जिसके बाद उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस का बहुमत नहीं आने पर हंजका से किनारा कर कांग्रेस का सहयोग किया और खुद मंत्री बन गए. तो वहीं एक तथाकथित भ्रष्टाचार के मामले में इनेलो की तरफ से उनके खिलाफ सीडी भी जारी की गई थी. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी के ही कुछ नेताओं ने राव नरेंद्र के अध्यक्ष बनाए जाने पर विरोध जताया था, क्योंकि दक्षिण हरियाणा के कुछ दूसरे नेता भी हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे.जिसके बाद राव नरेंद्र के सलेक्शन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
हरियााणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में महेंद्रगढ़ से पूर्व विधायक और राव इंद्रजीत के धूर विरोधी नेता राव दान सिंह और रेवाड़ी से पूर्व विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव के बेटे राव चिरंजीव भी शामिल थे. राव दान सिंह भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के नजदीकी बताए जाते हैं तो वहीं राव चिंरजीव का नाम बिहार चुनाव की वजह से चर्चा में था. जहां कांग्रेस पार्टी बिहार में आरजेडी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है और राव चिंरजीव लालू प्रसाद यादव के दामाद हैृ. वहीं बिहार से अचानक इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंचे राहुल गांधी के गुरुग्राम दौरे पर किसी युवा नेता को हरियाणा की कमान देने की चर्चाओं ने भी इस बात को हवा दी थी.
दरअसल कांग्रेस पार्टी बीजेपी के सत्ता में आने से लगातार दक्षिण हरियाणा यानी की अहिरवाल में कमजोर नजर आ रही है.वहीं कांग्रेस के पास गुरुग्राम से बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ कोई बड़ा मजबूत नेता नहीं है जो कांग्रेस के जनाधार को दक्षिण हरियाणा में बढ़ा सके हैं. लेकिन कांग्रेस की तरफ से राव नरेंद्र को अध्यक्ष बनाए जाने पर हरियाणा बीजेपी की ओबीसी आधारित राजनीति को बड़ा चैलेंज मिल सकता है, साथ ही राव इंद्रजीत को केंद्र में लगातार बड़ा पद नहीं मिलने से नाराज यादव वोटर्स के सेंटिमेंट का फायदा भी कांग्रेस को मिल सकता है. तो वहीं बादशाहपुर से बीजेपी विधायक और हरियाणा सरकार के मंत्री राव नरबीर ने कांग्रेस द्वारा राव नरेंद्र को अध्यक्ष बनाए जाने पर प्रशंसा की है. गौरतलब है कि राव नरबीर और राव इंद्रजीत के बीच काफी लंबे समय से सियाशी अदावत है. अब ऐसे समय पर कांग्रेस दक्षिण हरियाणा में राव नरेंद्र के जरिए लंबी राजनीति को साध सकती है और इसी रणनीति के तहत शायद प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही राव नरेंद्र लगातार उन सभी नेताओं से मिल रहे हैं जिन्होंने उनको अध्यक्ष बनाए जाने पर विरोध जताया था.
लगभग एक साल पहले हुए 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दक्षिण हरियाणा की 11 सीटों में से मात्र एक सीट जीत पाई थी. दक्षिण हरियाणा में शामिल गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल करते हुए कांग्रेस को बड़ा सेटबैक दिया था. हालांकि 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यहां सभी 11 सीटों पर जीत हासिल करते हुए कांग्रेस को क्लीन स्वीप कर दिया था. इसका सबसे बड़ा कारण राव इंद्रजीत सिंह की दक्षिण हरियाणा में मजबूत पकड़ और बीजपी की ओबीसी राजनीति बताया जाता है.