अदालत ने नौसेना से ट्रांसजेंडर को वैकल्पिक काम देने पर विचार करने को कहा
Advertisement

अदालत ने नौसेना से ट्रांसजेंडर को वैकल्पिक काम देने पर विचार करने को कहा

न्यायालय ने कहा, ‘‘यह अन्य दृष्टिकोण से इसे देखने का मौका है. यह अनोखी स्थिति है. यह अपनी तरह का पहला मामला हो सकता है.’’ 

न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 नवंबर तय की. (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से लिंग परिवर्तन के बाद नौकरी से हटा दिए गए एक ट्रांसजेंडर नाविक को वैकल्पिक काम उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा. न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन को सुझाव दिया , ‘‘आप अनुशासनहीनता के लिए उसे दंडित कर सकते हैं लेकिन साथ ही आप उसे समायोजित भी कर सकते.’’ जैन केंद्र और नौसेना की ओर से पेश हुए थे. सोच में बदलाव का आह्वान करते हुए पीठ ने कहा कि शायद वर्तमान मामला सशस्त्र बल में अपनी तरह का केवल एकमात्र मामला है और उसने नौसेना से ट्रांसजेंडर को कोई अन्य काम देने पर विचार करने को कहा.

न्यायालय ने कहा, ‘‘यह अन्य दृष्टिकोण से इसे देखने का मौका है. यह अनोखी स्थिति है. यह अपनी तरह का पहला मामला हो सकता है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘यहां एक व्यक्ति अपनी लैंगिक पहचान के साथ संघर्षरत है. यदि उसने स्थिति दबायी होती है और चीजें बनी रहती तो यह बड़ा खतरनाक होता. यह घातक हो सकता था. इसके बारे में सोचिए और फिर आइए. ’’

न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 नवंबर तय की. पीठ ने कहा कि बिना छुट्टी के अनुपस्थित रहने पर कोई भी व्यक्ति दंड का पात्र है लेकिन जहां इस तरह की मेडिकल स्थिति हो, उसे भिन्न नजरिये से देखा जाना चाहिए. अदालत का कहना था कि याचिकाकर्ता नाविक के कार्य के लिए दावा नहीं कर सकता और वह लिपिक का पद स्वीकार कर सकता है ताकि उसका परिवार प्रभावित न हो.

जैन और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने अदालत से कहा कि इस व्यक्ति का कई बार बिना छुट्टी लिए अनुपस्थित रहने की पृष्ठभूमि रही है . हालांकि दोनों इस बात पर सहमत हुए कि वे इस संबंध में सरकार से निर्देश लेंगे कि क्या इस मामले को विशेष मामले के रुप में लिया जा सकता है.

उनका कहना था कि लिंग परिवर्तन के बाद यह व्यक्ति बुरी तरह मानसिक परेशानी में घिर गया, ऐसे वक्त में नौसेना ने ही उसका इलाज और काउंसिलिंग करायी. लेकिन किसी अन्य शाखा या विभाग में कोई सीट ऐसे व्यक्ति के लिए नहीं रोकी जा सकती है जो मनोविकार और लैंगिंक पहचान समस्या से ग्रस्त हो. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अब महिला है एवं वह नौसेना में नाविक का दावा नहीं कर सकता है. पहले, वह आईएनएस एकसिला में नाविक था. उसने नौसेना से निकाले जाने को चुनौती दी है.

 

Trending news