हेल्‍थ इज वेल्‍थ: आपके मुंह में मौजूद यह छाला बन सकता है कैंसर की वजह
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हेल्‍थ इज वेल्‍थ: आपके मुंह में मौजूद यह छाला बन सकता है कैंसर की वजह

इन छालों की मौजूदगी के बावजूद लोगों के पास कैंसर की बीमारी से बचने का पहला और आखिरी मौका मौजूद रहता है.

डॉ. पीके दास के अनुसार, कैंसर से बचाव संभव है, लेकिन यह बचाव बेहद मंहगा और कष्‍टप्रद है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: यदि आप पान मसाला या जर्दा का सेवन करने के शौकीन हैं तो अब मुंह में होने वाले छालों को लेकर जरा सावधान हो जाइए. आपको बेहद मामूली से दिखने वाले ये छाले कैंसर की बीमारी की तरफ भी ले जा सकतेे हैंं. जी हां, पान मसाला या जर्दा खाने वाले लोगों में मुंह के कैंसर की शुरुआत इन्‍हीं छालों के जरिए ही होती है. छालों के रंग बदलने का संकेत है कि अब आपने धीरे-धीरे कैंसर की बीमारी की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है.

  1. ल्यूकोप्लेकिया है कैंसर की तरफ पहला कदम
  2. रिथ्रोप्‍लेकिया स्‍टेज पर नहीं संभले तो कैंसर संभव
  3. एक दाने से होती है मुंह के कैंसर की शुरुआत

डॉक्‍सर्ट के अनुसार, इन छालों की मौजूदगी के बावजूद लोगों के पास कैंसर की बीमारी से बचने का पहला और आखिरी मौका मौजूद रहता है. आखिरी मौके का फायदा उठाने के लिए उन्‍हें पान मसाला या जर्दा का सेवन छोड़ना होगा. पान मसाला या जर्दा छोड़ने के बाद कुछ सामान्‍य दवाओं की मदद से इन छालों को ठीक किया जा सकता है. छालों के ठीक होने के बाद मुंह का संक्रमति क्षेत्र प्राकृतिक अवस्‍था की तरफ आना शुरू कर देगा.

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इस तरह होती है कैंसर की शुरुआत
इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट डॉ. पीके दास ने जी-डिजिटल से बातचीत में बताया कि ज्‍यादातर लोग पान मसाला या जर्दा को मुंह के एक हिस्‍से में दबा कर रखते हैं. पान मसाला और जर्दा में मौजूद हानिकारक केमिकल मुंह के उस हिस्‍से को संक्रमित करना शुरू कर देतेे हैं. धीरे-धीरे मुंह के उस हिस्‍से की कोशिकाएं निष्क्रिय होना शुरू हो जाती है. कुछ समय के बाद मुंह का यह हिस्‍सा पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है. 

ल्यूकोप्लेकिया है कैंसर की पहली स्‍टेज
डॉ. पीके दास के अनुसार, पान मसाला और जर्दा के संपर्क में आने से निष्क्रिय हुए मुंह के उस हिस्‍से में एक सफेद रंग का छाला बन जाता है. मेडिकल की भाषा में इस छाले को ल्यूकोप्लेकिया स्‍टेज वन बोलते हैं. यही सफेद रंग का छाला कैंसर की तरफ बढ़ते कदमों की दस्‍तक देता है. शुरुआती स्‍टेज में सफेद रंग का छाला बनेगा, फिर खुद ब खुद ठीक हो जाएगा. कुछ समय बाद यह छाला फिर वापस आ जाएगा. 

रिथ्रोप्‍लेकिया है कैंसर की दूसरी स्‍टेज
डॉ. पीके दास के अनुसार, सफेद छाला आने के बाद भी यदि लोग सचेत नहीं होते हैं तो उस जगह पर एक लाल रंग का पैच आना शुरू हो जाएगा. इस स्‍टेज को मेडिकल टर्म में रिथ्रोप्‍लेकिया बोलते हैं. रिथ्रोप्‍लेकिया किसी भी शख्‍स के सचेत होने का आखिरी मौका है. इस स्‍टेज में यदि वह शख्‍स पान मसाला या जर्दा का सेवन छोड़ देता है तो उसका बचाव एक बार संभव है. इस स्‍टेज को नजरअंदाज करने वाले लोग मुंह के कैंसर की बीमारी का शिकार हो जाते हैं.

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जी-डिजिटल से बातचीत करते हुए अपोलो इंद्रप्रस्‍थ हॉस्पिटल के डॉ. पीके दास.

दाने से होती है मुंह के कैंसर की शुरुआत
डॉ. पीके दास ने जी-डिजिटल से बातचीत में बताया कि रेड पैच आने के बावजूद जो लोग पान मसाला या जर्दा का सेवन नहीं छोड़ते हैं, उनके मुंह में पहले एक दाना आता है. इस दाने के फूटने से छोटा जख्‍म होगा. यही जख्‍म धीरे-धीरे अल्‍सर में तब्‍दील हो जाता है. इस जख्‍म के साथ पान मसाला और जर्दा का केमिकल तेजी से मांसपेशी, स्किन, जबड़ा सहित अन्‍य हिस्‍सों को गलाना शुरू कर देता है. इस स्‍टेज पर आने के बावजूद बचाव संभव है, लेकिन यह बचाव बेहद मंहगा और कष्‍टप्रद है.

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