संपत्ति को आधार से जोड़ने की मांग पर हाईकोर्ट का केंद्र, दिल्ली सरकार को नोटिस
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संपत्ति को आधार से जोड़ने की मांग पर हाईकोर्ट का केंद्र, दिल्ली सरकार को नोटिस

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है सरकार का कर्तव्य है कि वह भ्रष्टाचार को रोकने और अवैध तरीकों से बनाई गई बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के लिए उचित कदम उठाए. 

यह याचिका बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है.

नई दिल्ली: लोगों के चल-अचल संपत्ति को आधार से जोड़ने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार, काले धन के उत्पादन और बेनामी लेनदेन को रोकने के लिए आधार नंबर के साथ नागरिकों की चल और अचल संपत्ति के दस्तावेजों को जोड़ने के लिए एक दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है. 

दरअसल, यह याचिका बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है सरकार का कर्तव्य है कि वह भ्रष्टाचार को रोकने और अवैध तरीकों से बनाई गई बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के लिए उचित कदम उठाए. इससे पहले मोबाइल फोन सिम व बैंक खाते खुलवाने के लिए आधार की इजाजत देने वाले नए अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. 

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अध्यादेश के जरिये सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को परोक्ष रूप से आधार के इस्तेमाल की इजाजत दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगा चुका है. याचिका के मुताबिक सरकार ने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. याचिकाकर्ता ने अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि अध्यादेश के जरिये टेलीकॉम कंपनियां किसी व्यक्ति की पहचान सत्यापन के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकती हैं, जबकि इसकी जरूरत नहीं थी.

यहां पर यह बताना जरूरी है कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले महीने आधार अधिनियम को अपनी मंजूरी दी थी. इसके तहत मोबाइल सिम कार्ड हासिल करने और बैंक खाते खुलवाने के लिए आईडी प्रूफ के तौर पर आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल की इजाजत है. इस अध्यादेश की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि इस सिलसिले में लोकसभा में पारित एक विधेयक को राज्य सभा की मंजूरी नहीं मिल सकी थी. आपको बता दें कि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल सितंबर में यह घोषणा की थी कि आधार योजना संवैधानिक रूप से वैध है, लेकिन इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल में दाखिलों से जोड़े जाने सहित इसके कुछ प्रावधानों को उसने रद कर दिया था.

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