नई दिल्ली: पहले ही कोरोना (Corona) के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई टूरिज्‍म इंडस्‍ट्री (Tourism Industry) पर अब दूसरी मार मौसम की पड़ी है. पहाड़ी इलाकों वाले राज्‍यों में हो रही भारी बारिश और भूस्‍खलन ने इन हिल स्‍टेशनंस के टूरिज्‍म पर बुरा असर डाला है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) भी इनमें से एक है. यहां की जिला पर्यटन अधिकारी (DTO) सुनैना शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि कांगड़ा जिले में कोरोना और उसके बाद भारी बारिश-भूस्‍खलन से पर्यटन पर नकारात्‍मक असर पड़ा है. 


यहां आते हैं कई विदेशी पर्यटक 


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हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा (Kangra) समेत कई ऐसे टूरिस्‍ट स्‍पॉट हैं, जहां बड़ी संख्‍या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं. जिला पर्यटन अधिकारी ने कहा, 'मार्च 2020 से ही पर्यटन पर बुरा असर डालने में प्रमुख कारण COVID-19 रहा है. कांगड़ा समेत बीड, धर्मशाला जैसे हिल स्‍टेशन पर कई विदेशी पर्यटक आते हैं. कोरोना के अलावा हिमाचल प्रदेश में हुई भारी वर्षा ने भी पर्यटन को भी प्रभावित किया है. वैसे तो बारिश के मौसम में यहां पर्यटन कम रहता है लेकिन इस बार यहां काफी पर्यटक पहुंच रहे थे. कोविड-19 आने के बाद से पहली बार पर्यटन अच्‍छा हो रहा था लेकिन भूस्‍खलन आदि घटनाओं ने फिर इसे नीचे ला दिया.'


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भूस्‍खलन ने लीं कई जानें 


सुनैना शर्मा के मुताबिक, 'इससे पहले जून में COVID प्रतिबंधों में ढील के बाद पर्यटक आने लगे थे. कई जगह तो पर्यटकों के ठहरने की जगहें 90 फीसदी तक भर गईं थीं. 10-11 जुलाई तक ऐसी ही स्थिति ऐसी ही रही लेकिन मौसम में परिवर्तन के कारण अब मुश्किल से इन जगहों पर 10 फीसदी टूरिस्‍ट हैं. यहां तक कि वीकेंड पर आने वाले पर्यटकों और कमर्शियल ट्रैवल के बाद भी होटलों में बमुश्किल 10-15 प्रतिशत कमरे ही भरे हैं.'


बता दें कि जुलाई में हुई लगातार बारिश के कारण और भूस्खलन ने पहाड़ी राज्य में कई लोगों की जान ले ली. 4 अगस्त को हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग 907 पर नाहन-कुमारहट्टी मार्ग को भारी भूस्खलन के कारण बंद कर करना पड़ा. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 1 अगस्त को कहा था कि भूस्खलन, बारिश और बादल फटने से राज्य को 632 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.