हिमाचल चुनाव: क्या अपने बेटे को टिकट दिला पाएंगे वीरभद्र सिंह?
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हिमाचल चुनाव: क्या अपने बेटे को टिकट दिला पाएंगे वीरभद्र सिंह?

हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिखा दिया है कि पहाड़ी राज्य का असली बॉस कौन है. उम्मीदवार के चयन के मामले में उन्हें पार्टी आलाकमान को झुकने पर मजबूर कर दिया था.

हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह: फाइल फोटो

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिखा दिया है कि पहाड़ी राज्य का असली बॉस कौन है. उम्मीदवार के चयन के मामले में उन्हें पार्टी आलाकमान को झुकने पर मजबूर कर दिया था. इस तरह से उन्होंने पहला राउंड तो जीत लिया है लेकिन असली चुनौती अपने बेटे विक्रमादित्य को टिकट दिलाने की है. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के टिकट को लेकर अभी भी संदेह बरकरार है, जो शिमला (ग्रामीण) से अपने चुनावी पदार्पण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस सीट पर उनके पिता ने 2012 में 19,073 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी. विक्रमादित्य वर्तमान में राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उनके पिता ने पहले ही घोषित कर दिया था कि उनका बेटा शिमला (ग्रामीण) से अगला चुनाव लड़ेगा. भाजपा ने शिमला (ग्रामीण) से प्रमोद शर्मा को मैदान में उतारा है.

  1. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के टिकट को लेकर अभी भी संदेह बरकरार है. 
  2. वीरभद्र सिंह ने  2012 में 19,073 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी
  3. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह वर्तमान में राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं 

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जो कभी पहले वीरभद्र सिंह के करीबी सहयोगी के रूप में जाने जाते थे. कांग्रेस ने 9 सीटों पर उम्मीदवारों घोषित नहीं किए हैं. सिंह ने प्रदेश में नौ नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए सोलन जिले के अर्की विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र भर दिया है. सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए शिमला (ग्रामीण) की सीट खाली कर दी है और अर्की से इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. सिंह ने चुनाव पूर्व ही बयान दिया था कि इस बार वह उस सीट से चुनाव लड़ेंगे जहां से कांग्रेस हारती रही है. हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब वीरभद्र ने अपनी सीट बदली हो.

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उन्होंने 1983 और 1985 में जुब्बल और कोटखाई से चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1990, 1993, 1998 और 2007 में उन्होंने रोहड़ू से चुनाव लड़ा था. इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये जाने के बाद 2012 में उन्होंने शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस आगामी चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ेगी और आसानी से जीत दर्जकर सत्ता में वापसी करेगी.

सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराजगी खत्म नहीं
राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू से वीरभद्र की अदावत कम होने का नाम नहीं ले रही. पर्चा दाखिल करने के बाद उन्होंने नौदान से चुनाव लड़ रहे राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निशाना साधते हुए कहा, "नियमों के अनुसार चुनाव लड़ने की बजाय राज्य कांग्रेस अध्यक्ष को चुनावों के प्रबंध करने चाहिए. लेकिन अगर उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय कर लिया है तो सुचारु रूप से चुनाव कराये जाने के लिए किसी और को पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख बनाया जाना चाहिए."

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