हिंदू संस्कृति भारत की पहचान है : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
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हिंदू संस्कृति भारत की पहचान है : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ‘हिंदू संस्कृति’ भारत की पहचान है और यही वजह है कि इसे हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता है तथा उन्होंने उन लोगों को संगठित करने पर बल दिया जो भारतीय मूल्यों ओर विविधता में एकता की सांस्कृति प्रणाली को अपनाते हैं।

हिंदू संस्कृति भारत की पहचान है : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

बेंगलुरु: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ‘हिंदू संस्कृति’ भारत की पहचान है और यही वजह है कि इसे हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता है तथा उन्होंने उन लोगों को संगठित करने पर बल दिया जो भारतीय मूल्यों ओर विविधता में एकता की सांस्कृति प्रणाली को अपनाते हैं।

भागवत ने कहा, ‘हिंदू संस्कृति या भारतीय संस्कृति, यह हमारी पहचान के रूप में है। भारत महज जमीन के एक टुकड़े या खंड का नाम नहीं है । भूमि तो इस आधार पर घटती बढ़ती रहती है कि उसके साथ कैसा बर्ताव हो रहा है। समाज की प्रकृति उसकी संस्कृति है। ’ आरएसएस के एक बयान के मुताबिक उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ‘यह संस्कृति ही है जो हमसभी को एकजुट रखती है, इस तरह यह हमारी पहचान है और यही कारण है कि इसे हिंदू राष्ट्र के रूप मे जाना जाता है। बहुत सारे लोग इसे नहीं जानते और न ही बहुत से लोग इसमें विश्वास करते हैं लेकिन यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत है। हम सभी हिंदू हैं क्योंकि हमने संस्कृति की यह प्रकृति अपनायी है। ’

उन्होंने कहा, ‘हमें उन हिंदुओं को संगठित करना चाहिए जो मूल्यों और विविधता में एकता की भारतीय सांस्कृतिक प्रणाली केा स्वीकार करते हैं ताके वे देश की प्रगति की दिशा में काम करें... उनमें संस्कार के बीज बोएं ताकि हम एक संगठित समाज देख पाएं।’

भागवत ने कहा, ‘अन्य देश कहते हैं कि एकता के लिए एकरूपता अनिवार्य है। हमें न तो इसमें विश्वास करते हैं और न हीं उसका अनुसरण। एकरूपता एकता के लिए अनिवार्य नहीं है। व्यक्ति को विविधता में एकता ढूढ पाने में समर्थ होना चाहिए। ’ उन्होंने कहा, ‘भारत हमेशा से विविधताओं के बावजूद एक राष्ट्र रहा है। इसका उल्लेख अथर्ववेद में भी मिलता है। एकता और विविधता की संस्कृति भारत को जोड़ती है। ’

यहां अखिल भारतीय श्रंग घोष शिविर ‘स्वरांजलि-2016’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी हिंदू हैं क्योंकि हमने इस संस्कृति की इस प्रकृति (विविधता में एकता) को अपनाया है। ’ भागवत ने कहा, ‘‘यह संस्कृति ईश्वर की प्रार्थना के तौर तरीके या धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करती है। ’ उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिशों के आने से पहले भी भारत पर विदेशियों द्वारा बार बार आक्रमण की वजह यही थी कि हम अपने मूल्यों और विविधता में एकता की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे थे।’ उन्होंने कहा कि लोगों में इन्हीं श्रेष्ठ मूल्यों को पैदा करने के लिए आरएसएस संस्थापक के बी हेडगवार ने पूरे हिंदू समुदाय को एकजुट लाने के लिए आरएसएस शुरू किया। पूर्व इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने कहा कि विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी को जटिल एवं वृहद प्रासंगिक मुद्दों का सोद्देश्य समाधान करना चाहिए।

 

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