नागरिकता संबंधी शिकायत पर राहुल गांधी को नोटिस मामले में ब्योरा देने से मंत्रालय का इनकार
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नागरिकता संबंधी शिकायत पर राहुल गांधी को नोटिस मामले में ब्योरा देने से मंत्रालय का इनकार

गृह मंत्रालय ने अप्रैल में गांधी को नोटिस दिया था और उनसे कहा था कि वह उनकी नागरिकता पर सवाल खड़े करने वाली शिकायत पर अपनी ‘‘तथ्यात्मक स्थिति’’ एक पखवाड़े में स्पष्ट करें. यह शिकायत बीजेपी नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने की थी. 

गृह मंत्रालय ने अप्रैल में राहुल गांधी को नोटिस दिया था. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाने वाली शिकायत के बाद उन्हें दिए गए अपने नोटिस के बारे में जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. मंत्रालय ने आरटीआई कानून के उन प्रावधानों का हवाला देते हुए इससे इनकार किया जो जांच बाधित करने वाली जानकारी साझा करने से रोकते हैं.

गृह मंत्रालय ने अप्रैल में गांधी को नोटिस दिया था और उनसे कहा था कि वह उनकी नागरिकता पर सवाल खड़े करने वाली शिकायत पर अपनी ‘‘तथ्यात्मक स्थिति’’ एक पखवाड़े में स्पष्ट करें. यह शिकायत भाजपा नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने की थी. एक आरटीआई याचिका में गृह मंत्रालय से कहा गया था कि वह गांधी को दिए गए नोटिस की प्रति और उनसे मिले जवाब की जानकारी मुहैया कराए.

 

मंत्रालय ने ‘पीटीआई’ द्वारा दायर याचिका के जवाब में कहा, ‘‘मांगी गई जानकारी का खुलासा आरटीआई कानून की धारा 8(1)(एच) और (जे) के तहत नहीं किया जा सकता. धारा 8 (1)(एच) ऐसी सूचना मुहैया कराने से रोकती है ‘‘जिससे जांच की प्रक्रिया या अपराधियों के अभियोग या हिरासत में रुकावट पैदा होती हो’’.

प्रावधान (जे) उस जानकारी को देने से रोकता है ‘‘जो निजी सूचना के खुलासे से संबंधित हो और जिसका किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं हो या जो किसी व्यक्ति की निजता में अवांछित हस्तक्षेप करती हो.’’पत्र का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि राहुल गांधी ब्रिटेन में 2003 में पंजीकृत कंपनी बैकऑप्स लिमिटेड के निदेशकों में शामिल थे.

मंत्रालय ने कहा कि स्वामी के पत्र के अनुसार, ब्रिटिश कंपनी के 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को भरे गए वार्षिक आयकर रिटर्न में गांधी की जन्म तिथि 19 जून, 1970 बतायी गई है. उसमें गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है.

नोटिस में कहा गया है, ‘‘इसके अलावा 17 फरवरी, 2009 को इस कंपनी की परिसमापन अर्जी में भी आपकी नागरिकता ब्रिटिश बतायी गई है. आपसे अनुरोध किया जाता है कि इस संबंध में पत्र मिलने के एक पखवाड़े के भीतर आप मंत्रालय को तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराएं.’’

इस संबंध में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था, ‘‘मैंने ऐसी बकवास कभी नहीं सुनी है. सभी जानते हैं कि राहुल गांधी का जन्म यहीं हुआ और वह यहीं पले-बढ़े.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूरा हिन्दुस्तान जानता है कि राहुल गांधी हिन्दुस्तानी हैं...उनका जन्म लोगों के सामने हुआ...उनका लालन-पालन उनके सामने हुआ...वह उनके सामने ही बड़े हुए...यह क्या बकवास है.’’

नवंबर, 2015 में शीर्ष अदालत ने गांधी की नागरिकता की जांच सीबीआई से कराने की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी थी. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि जनहित याचिका किसी व्यक्ति या संस्थान को निशाना बनाने के लिए नहीं है, वह सुशासन के जरिए लोगों की दिक्कतों को सुलझाने का जरिया है.

आरटीआई याचिका में एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि व्यक्तियों की नागरिकता संबंधी स्थिति पर उन्हें जारी किए गए नोटिस का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य नहीं है. मंत्रालय से 2009 से 2019 के बीच उन व्यक्तियों को जारी नोटिस की जानकारी मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था जिनमें उनकी नागरिकता पर सवाल किया गया हो.

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