कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में लाई गई अनोखी तकनीक, इस तरह करेगी मदद
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कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में लाई गई अनोखी तकनीक, इस तरह करेगी मदद

नोएडा में एक अस्पताल ने हाल ही में अपने वार्डों में निगरानी करने के लिए एक रोबोट को तैनात किया है. जो 24 घंटे वार्ड में मौजूद रहकर मरीजों की सेवा करता है, बिल्कुल उनके दोस्त की तरह.

कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में लाई गई अनोखी तकनीक, इस तरह करेगी मदद

नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर का सामना कर रही है. इस वायरस के चलते अब तक लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं कोरोना वार्ड में इलाज को लेकर भी बहुत सी परेशानियों का सामना  डॉक्टर से लेकर हेल्थ वर्कर्स को करना पड़ता है. हालांकि महामारी के इस दौर में परेशानियों को दूर करने के लिए दिलचस्‍प समाधान निकाला गया है.

नोएडा में एक अस्पताल ने हाल ही में अपने वार्डों में निगरानी करने के लिए एक रोबोट को तैनात किया है. जो 24 घंटे वार्ड में मौजूद रहकर मरीजों की सेवा करता है, बिल्कुल उनके दोस्त की तरह.

कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में अब तक लाखों लोग, हेल्थकेयर वर्कर्स अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में देश के एक अस्पताल में रोबोट मित्र को काम पर लगाया गया है. ये रोबोट कोरोना के मरीजों की बात उनके परिजनों और मित्रों से करवाता है ताकि मरीजों से दूर रहकर भी उनका हालचाल जाना जा सके.

स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस से सुरक्षित रखता है
रोबोट मरीजों को उनके परिवार वालों के साथ संपर्क करने में भी मदद करता है. डॉक्टर्स के वार्ड मौजूद न होने पर मरीज के कहने पर उनको फोन तक मिला देता है. COVID-19 वार्ड की देखरेख करने वाले रोबोट का इससे भी बड़ा फायदा यह है कि यह स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस से सुरक्षित रखता है.

इस रोबोट को 'मित्र' (Mitra) नाम दिया गया है. ये मेड इन इंडिया रोबोट है. रोबोट ने इससे पहले 2017 के कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की थी.

रोबोट की आंखें Facial Recognition Technology से लैस
इस रोबोट की आंखें Facial Recognition Technology से लैस हैं, यानी कि यह चेहरा देखकर लेागों की पहचान कर लेता है. इससे वह यह याद रख पाता है कि उसने किन लोगों के साथ पहले बातचीत की थी.

मित्र के सीने में एक टैबलेट भी लगा हुआ है, जिससे वह वीडियो कॉल के जरिए रोगियों को उनके परिवार के संपर्क में रखता है. इसके अलावा मेडिकल स्टाफ के लोग इसके जरिए इन वार्डों की निगरानी करते हैं

इस बीमारी को ठीक होने में काफी समय लगता है और इस दौरान मरीज अपने परिवार के लोगों से मिल नहीं पाते हैं. मित्र के उपयोग का मुख्‍य कारण यही है कि जो रोगी अपने फोन का इस्‍तेमाल करने में सक्षम नहीं हैं, वे इसके जरिए परिवार से संपर्क में रह सके.

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