Parliament Attack: संसद में घुसे उन आतंकियों से सबसे पहले लड़ी वो 'शेरनी', आज नमन कर रहा देश
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Parliament Attack: संसद में घुसे उन आतंकियों से सबसे पहले लड़ी वो 'शेरनी', आज नमन कर रहा देश

Parliament Attack 2001: 13 दिसंबर संसद हमले के दिन आज पूरा देश शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है लेकिन क्या आपको कमलेश कुमारी याद हैं? शहीद कमलेश कुमारी गेट नंबर 1 पर तैनात थीं. भारी गोलीबारी के बावजूद वह अपनी पोस्ट पर डटी रहीं और सबसे पहले आतंकियों के बारे में अपनी टीम को अलर्ट किया. वह लगातार आतंकियों के मूवमेंट के बारे में जवानों को बताती रहीं.

Parliament Attack: संसद में घुसे उन आतंकियों से सबसे पहले लड़ी वो 'शेरनी', आज नमन कर रहा देश

Kamlesh Kumari CRPF: दिल्ली में ठंड शुरू हो चुकी थी. संसद चल रही थी तो राजधानी में गहमागहमी का माहौल था. वो तारीख थी 13 दिसंबर 2001. गृह मंत्रालय के लेबल वाली एक कार संसद भवन में घुसने में कामयाब हो जाती है. तब तक संसद के दोनों सदन स्थगित हो चुके थे. हालांकि तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कुछ वरिष्ठ नेता संसद परिसर में ही मौजूद थे. किसी को अंदाजा भी नहीं था कि तबाही का सामान लिए एक कार संसद परिसर में आ चुकी है. नकली पहचान से वे दहशतगर्द घुसे और गाड़ी उपराष्ट्रपति की खड़ी कार से भिड़ा दी. सफेद एंबेसडर कार से आए 5 दहशतगर्दों के पास एके 47 राइफलें, ग्रेनेड लॉन्चर्स, हैंडगन जैसे कई हथियार थे. सबसे पहले इन आतंकियों का सामना केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स की जांबाज कमलेश कुमारी से ही हुआ था.

कमलेश कुमारी ने क्या किया था?

संसद परिसर में कमलेश कुमारी उस दिन गेट नंबर 1 पर तैनात थीं. उन्होंने इस हमले में जानमाल का ज्यादा नुकसान होने से रोका. दरअसल, जब आतंकी गेट नंबर 11 से घुसे तो कमलेश ने उनका पीछा किया और उनसे सबसे पहले मोर्चा लिया और अपने साथियों को उनके बारे में अलर्ट किया. कमलेश के पास उस समय हथियार नहीं थे लेकिन उनकी फुर्ती और स्किल्स की बदौलत सीआरपीएफ की टीम हमलावरों को ठिकाने लगा सकी. कमलेश कुमारी ने उन आतंकियों को सबसे पहले देखा था. उन्होंने वॉकी-टॉकी से साथियों को अलर्ट किया ही था कि आतंकियों ने उन्हें देख लिया. कमलेश वहीं पर देश के लिए कुर्बान हो गईं.

तब तक दोनों तरफ से गोलियां चलनी शुरू हो गई थीं. बताते हैं कि पौने 12 बजे के करीब संसद में करीब 100 सांसद मौजूद थे. जांबाज सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों को चुन-चुनकर ठिकाने लगा दिया. ठांय-ठांय की आवाज से संसद परिसर गूंज उठा. एक आतंकी ने आत्मघाती जैकेट पहनी थी. उसे गोली लगी तो वह उड़ गया. पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के निर्देश पर लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले को अंजाम दिया था.

सुबह करीब साढ़े 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक गोलियों की आवाज सुनी गई थी. इस हमले में 9 लोगों की मौत हुई थी. दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला सिक्योरिटी गार्ड, राज्यसभा के 2 कर्मचारी और एक माली की मौत हो गई थी.

कांस्टेबल कमलेश कुमारी को उनकी बहादुरी के लिए शांति काल में दिया जाने वाला शौर्य पुरस्कार 'अशोक चक्र' मरणोपरांत प्रदान किया गया.

बाद में 8 फरवरी 2013 को इसी मामले में अफजल गुरु को फांसी दे दी गई.

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