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'चीफ जस्टिस पर जूता उछालना ब्राह्मणवादी मानसिकता' यह पढ़कर सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से रहा नहीं गया

CJI बीआर गवई पर जूता उछालने की कोशिश इस समय देश में डिबेट का मुद्दा बना हुआ है. मीडिया में आरोपी वकील राकेश किशोर खुलकर बोल रहे हैं. वह 'क्रिया-प्रतिक्रिया' और 'सनातन अपमान' जैसी बातें कह रहे हैं. उनके खिलाफ एक्शन की मांग उठ रही है. पीएम मोदी ने खुद सीजेआई से बात की है. इधर ब्राह्मण एंगल कहकर मामले को भड़काया जा रहा है. 

'चीफ जस्टिस पर जूता उछालना ब्राह्मणवादी मानसिकता' यह पढ़कर सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से रहा नहीं गया

Chief Justice BR Gavai News: जब से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता उछालने की कोशिश की गई है, तब से देश में एक तबका इसे 'ब्राह्मणवादी मानसिकता' सिद्ध करने में तुला है. सोशल मीडिया पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने उस वकील की हरकत को ‘Brahminical mindset’ कह दिया. उन्होंने इसे कोर्ट की अवमानना कहते हुए वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. हालांकि न सिर्फ ब्राह्मण बल्कि आम प्रबुद्ध वर्ग भी प्रशांत भूषण की बात से सहमत नहीं दिखा. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश का आम आदमी भी इस तरह की घटना से गुस्से में है. यहां न कोई जाति पूछ रहा है न धर्म बल्कि यह एक जज के प्रति सम्मान की भावना है जो हमारे मन-मस्तिष्क को संदेश दे रही है कि जो हुआ वो बिल्कुल गलत था. शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से रहा नहीं गया. उन्होंने करीब 24 घंटे बाद प्रशांत भूषण के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए इशारों में जमकर सुनाया. 

प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा

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प्रियंका ने लिखा, 'मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकना निंदनीय कृत्य है, लेकिन इसे 'ब्राह्मणवादी मानसिकता' कहना हिंसा का उतना ही घटिया जवाब है. आप मेरी इस पोस्ट को जितना चाहें ट्रोल करें लेकिन देश के विचारकों से इससे बेहतर की उम्मीद होती है.'

इसको लेकर सोशल मीडिया पर डिबेट छिड़ गई. कुछ लोग तो इस बात पर मौज लेने लगे कि प्रशांत भूषण को क्या विचारक कहा जा सकता है? कुछ ब्राह्मण नाम वाले लोगों ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर प्रियंका की बात का समर्थन किया. डॉ. मेघनाद जैसे कुछ ब्लूटिक वालों ने लिखा कि भारत में जातिगत संतुलन की विडंबना देखिए. अगर अपराधी उच्च जाति से होता है तो यह पितृसत्ता का मामला बनता है लेकिन अगर पीड़ित उच्च जाति से पाया जाता है तो यह सामाजिक न्याय का मामला हो जाता है. 

देशभर में प्रोटेस्ट

CJI बीआर गवई के खिलाफ दुर्व्यवहार की कोशिश के खिलाफ मंगलवार को देश के अलग-अलग हिस्सों में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया. वकीलों ने कहा कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था की नींव को हिलाने की साजिश है. यह संविधान के खिलाफ सीधा हमला है. प्रदर्शन कर रहे एक वकील ने कहा, 'यह देश भारत के संविधान से चलेगा, न कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों से.'

सस्पेंड हुए तो राकेश किशोर बोले, निरंकुश फरमान

वहीं, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के आरोपी सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर को अपने कृत्य पर कोई अफसोस नहीं है. उन्होंने कहा, 'अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व वाली बार काउंसिल ने सोमवार की रात मुझे निलंबित करने का एक पत्र भेजा, जिसे मैं आपको दिखा सकता हूं. यह पत्र उनका आदेश और एक निरंकुश फरमान है. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के अनुसार, जब भी किसी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए, वकील का पक्ष सुना जाना चाहिए और उसके बाद ही उन्हें बर्खास्त, रोल से हटाया या निलंबित किया जा सकता है.' राकेश किशोर को किसी तरह का पछतावा या अफसोस नहीं है. 

राकेश किशोर 71 साल के हैं. वह दिल्ली में मयूर विहार फेज 1 में रहते हैं. सोशल मीडिया में उनकी जाति ब्राह्मण बताई जा रही है और इसी से लोग ब्राह्मणवादी मानसिकता कहने लग गए. 

पढ़ें: 'भगवान का मजाक उड़ाया, हमें पछतावा नहीं...', CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील का बड़ा बयान

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Anurag Mishra

अनुराग मिश्र ज़ी न्यूज डिजिटल में एसोसिएट न्यूज एडिटर हैं. वह दिसंबर 2023 में ज़ी न्यूज से जुड़े. देश और दुनिया की राजनीतिक खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. 18 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर ...और पढ़ें

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