DNA ANALYSIS: Coronavirus New Variant 15 गुना ज्यादा खतरनाक, दक्षिण भारत में दस्तक
कोरोना वायरस (Coronavirus) ने नए स्वरूप के रूप में संक्रमण ने एक और अवतार ले लिया है. नए वेरिएंट का खतरा मौजूदा वेरिएंट से 15 गुना ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के व्यवहार और उसकी शक्तियों को आज आप रावण के रूप में भी समझ सकते हैं. जिस तरह रावण के दस सिर थे उसी तरह इस वायरस के भी हजारों वेरिएंट हैं. यानी आप कह सकते हैं कि इस वायरस के हजारों सिर हैं. इसके अलावा जैसे रावण अपनी इच्छा अनुसार किसी भी रूप में अवतरित हो जाता था, कोरोना वायरस भी ऐसा ही कर रहा है.
रूप बदल रहा कोरोना रूपी रावण
अब इस वायरस ने नए स्वरूप के रूप में एक और अवतार ले लिया है. नए वेरिएंट का खतरा मौजूदा वेरिएंट से 15 गुना ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है और इसके कई नाम हैं. वैज्ञानिक इसे N440K वेरिएंट कहते हैं, कुछ लोग इसे आन्ध्र प्रदेश वेरिएंट भी कह रहे हैं और अब इसे Vizag वेरिएंट भी कहा जा रहा है. वेरिएंट का मतलब होता है वायरस का ही नया रूप या एक वायरस के अलग अलग प्रकार. इसे ऐसे समझिए कि जब वायरस खुद को Reproduce करता है तो वो पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता और इसे वैज्ञानिक म्यूटेशन कहते हैं. लेकिन जब इसी म्यूटेशन का लोगों पर असर होता है तो उसे नया वेरिएंट कहा जाता है. ये नया वेरिएंट भी ऐसा ही है.
यहां मिला नया वेरिएंट
Centre for Cellular and Molecular Biology ने शोध के दौरान कई सैम्पल्स में इस नए वेरिएंट की पहचान की है. अभी ये वायरस आन्ध्र के विशाखापट्टनम और उसके आसपास के जिलों तक सीमित है. जबकि इससे पहले ये महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी मिल चुका है. बड़ी बात जो आपको समझनी है, वो ये कि इस नए वेरिएंट का incubation period सिर्फ 2 से 3 दिन है.
भाप के दावों का DNA टेस्ट
कोरोना की दहशत के बीच बचाव के उपाय पर चर्चा खूब हो रही है. कई लोगों का मानना है कि भाप कोरोना से बचाने में कारगर है. इसिलए हम आपको सरल भाषा में ये समझाएंगे कि क्या स्टीम थैरेपी यानी भाप लेने से कोरोना वायरस खत्म हो जाता है? या भाप लेने वाले व्यक्ति को कोरोना वायरस होता ही नहीं है? इन दावों में कितनी सच्चाई है, अब हम इसका DNA टेस्ट करेंगे.
नुस्खों की आई बाढ़
दरअसल, आज कल सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से बचने के लिए अलग-अलग नुस्खों की बाढ़ आई हुई है और आप कह सकते हैं कि हर व्यक्ति अपनी जेब में एक नुस्खा लेकर घूम रहा है और जो लोग खुद को संक्रमण से बचाना चाहते हैं, वो इस तरह के दावों पर आसानी से यकीन कर लेते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि बाजार में उस चीज की मांग बढ़ जाती है और जब किसी चीज की मांग बढ़ जाती है तो उसकी आपूर्ति और कीमत दोनों पर असर पड़ता है यानी वो चीज महंगी हो जाती है और उसका ज्यादा फायदा भी नहीं होता. भाप लेने का जो नुस्खा है, उस पर भी कुछ ऐसा ही हुआ है.
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