DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड ने खोले साजिशकर्ताओं के राज
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DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड ने खोले साजिशकर्ताओं के राज

जांच रिपोर्ट के मुताबिक कट्टरपन और मजहबी उन्माद से भरे ताहिर और उसके जैसे लोग लंबे अर्से से हिंदुओं को सबक सिखाना चाहते थे. जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और उसके बाद केंद्र सरकार ने पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता कानून लागू कर दिया तो उनकी खीज और बढ़ गई.

DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड ने खोले साजिशकर्ताओं के राज

नई दिल्ली: दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों (delhi riot)की पूरी दास्तान सामने आ गई है. दिल्ली पुलिस ने दंगों में ताहिर हुसैन (tahir hussain) की भूमिका की जांच कर अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है. जांच रिपोर्ट के मुताबिक कट्टरपन और मजहबी उन्माद से भरे ताहिर और उसके जैसे लोग लंबे अर्से से हिंदुओं को सबक सिखाना चाहते थे. जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और उसके बाद केंद्र सरकार ने पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता कानून लागू कर दिया तो उनकी खीज और बढ़ गई. इसके बाद पूरी योजना बनाकर एक तबके ने दिल्ली को दंगों की आग में झोंक दिया. दंगों के दौरान चुन- चुनकर दूसरे धर्म के लोगों को मारा गया और उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. दिल्ली में मुख्यालय चलाने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने इन दंगों के लिए देश- विदेश से करोड़ों की फंडिंग करवाई और उमर खालिद ने इन दंगों के बाद विक्टिम कार्ड खेलने का प्लान तैयार किया. 

  1. अयोध्या फैसले और सीएए लागू होने से चिढ़ गया था ताहिर
  2. उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां ने भी दंगों को अंजाम देने में निभाया रोल
  3. दंगे कराने के लिए PFI ने निभाई थी अहम भूमिका, करवाई करोड़ों की फंडिंग
  4.  

आम आदमी पार्टी का पार्षद था ताहिर हुसैन
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी का पार्षद था.उसने वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की कोशिश की थी.लेकिन उस समय उसे टिकट नहीं मिला. इस बीच ताहिर हुसैन की मुलाकात खालिद सैफी नाम के एक शख्स से हुई. जिसकी आम आदमी पार्टी में अच्छी पकड़ थी. खालिद सैफी एक NGO चलाता है. ताहिर हुसैन के मुताबिक खालिद सैफी कट्टर सोच वाला व्यक्ति था और उसी से प्रभावित होकर ताहिर भी कट्टरपन की ओर मुड़ गया. 

हिंदुओं को सबक सिखाना चाहता था ताहिर हुसैन
ताहिर हुसैन ने वर्ष 2017 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत गया. इसी दौरान देश में बीजेपी की सरकार आ चुकी थी. पहले से ही कट्टरपन की राह पकड़ चुके ताहिर हुसैन को मुसलमानों की चिंता होने लगी. उसने सोचा कि अपने राजनैतिक रसूख और दौलत का फायदा उठाकर अपनी कौम के लिए कुछ करना चाहिए और हिंदुओं को सबक सिखाना चाहिए.

अयोध्या का फैसला आने के बाद बनने लगा दंगे का प्लान
ताहिर की इस सोच को आगे बढ़ाने का काम खालिद सैफी ने किया. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद खालिद सैफी ताहिर के पास आया और बोला कि अब हम चुप नहीं बैठेंगे, तुम तैयार रहो. इस बीच अयोध्या में राम मंदिर को लेकर फैसला  आया और नया नागरिकता कानून भी लागू हो गया. इससे ताहिर हुसैन की देश और हिंदुओं के खिलाफ नफरत और ज्यादा बढ़ गई.

उमर खालिद ने दिया पैसे और राजनीतिक समर्थन का भरोसा
खालिद सैफी ने ताहिर हुसैन की मुलाकात JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद से कराई.  ये मुलाकात 8 जनवरी को दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में बने Popular Front Of India यानी PFI के दफ्तर में हुई. उसी शाहीन बाग में, जो नए नागरिकता कानून के विरोध का केंद्र बना हुआ था. खालिद सैफी ने इस मुलाकात में ताहिर हुसैन को भरोसा दिलाया कि PFI हर तरह की साजिश के लिए उसे पैसे मुहैया कराएगी.  इसके बाद इन लोगों ने योजना बनाई कि ये  दिल्ली में कुछ ऐसा करेंगे जिससे केंद्र सरकार हिल जाएगी और सरकार को नया नागरिकता कानून वापस लेना पड़ेगा.

दंगों के लिए बांटी गई डयूटी
इसके बाद प्लानिंग के तहत हर किसी को दंगों की डयूटी बांटी गई. योजना के अनुसार खालिद सैफी को लोगों को भड़काकर सड़कों पर उतारना था. वहीं  ताहिर हुसैन को उसके ऊंचे मकान का फायदा उठाकर कांच की बोतलें, पत्थर, पेट्रोल और तेज़ाब जमा करना था. इसके बाद साजिश को अमलीजामा पहनाते हुए शाहीन बाग की तर्ज पर देश के अलग अलग इलाकों में भी धरने शुरू कर दिए गए.  खुद खालिद सैफी ने दिल्ली के खुरेजी इलाके में धरना शुरू कराया.  इस बीच उमर खालिद ने भरोसा दिलाया कि PFI, Jamia Coordination Commitee,कई राजनेता, वकील और दूसरे मुस्लिम संगठन इस कोशिश में उनके साथ है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे में दंगा करने की योजना
साजिश के तहत ये तय हुआ कि इन धरनों के दौरान दिल्ली के अलग अलग इलाकों में चक्का जाम कराया जाएगा. जैसे ही कोई पुलिस वाला या कोई हिंदू नेता वहां पहुंचेगा तो भीड़ को भड़काने का काम शुरू किया जाएगा. दिल्ली में ठीक हुआ भी ऐसा ही. दंगे शुरू करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दिल्ली आने का इंतजार किया गया. जिससे भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़े और सरकार को कानून वापस लेना पड़े.

कबाड़ियों से दोगुने दामों पर खरीद ली कांच की बोतलें
इस बीच ताहिर हुसैन ने योजना में शामिल दूसरे लोगों को बताया कि उसने अपने इलाके में आने जाने वाले कबाड़ियों से शराब और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें दोगुने दामों पर खरीदकर अपने घर में जमा करनी शुरू कर दी हैं. ताहिर ने बताया कि आस पास की गलियों और Construction Sites से पत्थर भी मंगवा लिए गए हैं. 

छत पर किया गया तेजाब से भरे ड्रमों का इंतजाम
ताहिर हुसैन ने अपनी चारों गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल भरवाकर इनका इस्तेमाल पेट्रोल बम के तौर पर करने की बात भी कही. ताहिर ने अपने घर की छत साफ करवाने के नाम पर बड़ी मात्रा में तेज़ाब भी मंगवा लिया था. इतना ही नहीं ताहिर ने 22 फरवरी को स्थानीय पुलिस थाने से अपनी लाइसेंसी बंदूक भी छुड़वा ली. जिससे वो इसका इस्तेमाल दंगों में कर सके. इसके बाद 24 फरवरी को ताहिर हुसैन ने अपनी योजना पर काम करना शुरू किया. उसने इस काम के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा किए. 

दंगे से पहले आसपास के सीसीटीवी के तार काट दिए
उन्हें तेजाब की थैलियों और पेट्रोल बम के बारे में बताया और निर्देश दिए कि इनका इस्तेमाल कब कैसे और किन पर करना है. ताहिर के मुताबिक उसने इन सारे हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ हिंदुओं और पुलिस वालों पर करने के लिए बार बार समझाया. इसके बाद उसने अपने घर का शटर खोलकर दूसरे दंगाइयों को भी बुला लिया और अपने घर समेत आसपास लगे CCTV के तार काट दिए गए. जिससे उसकी हिंसा का कोई सबूत बाहर ना आए.

दूसरे धर्म के लोगों और उनकी संपत्तियों को चुन चुनकर निशाना बनाया
पुलिस को दर्ज करवाए बयान में ताहिर हुसैन ने सिलसिलेवार बताया कि उसने और उसके लोगों ने 24 और 25 फरवरी को चुन चुनकर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाया. उसके लोगों ने चुन- चुनकर दूसरे धर्म के लोगों की दुकानें जलाई और लोगों को पकड़कर उन्हें मार डाला. लोगों की हत्याओं के बाद उनके शवों को पास में बह रहे नाले में डंप कर दिया गया. दंगे के बाद 25 फरवरी की शाम को ताहिर हुसैन अपने किसी परिचित के घर चला गया. ताहिर अगले दो तीन दिनों तक अलग अलग जगहों पर छिपा रहा और बाद में खुद को पीड़ित बताते हुए मीडिया में बयान दिया कि उसे जान का खतरा था. इसलिए वो अपना घर छोड़कर भाग गया था.

दिल्ली दंगों की फैक्ट्री बन गया था ताहिर हुसैन का घर
कुल मिलाकर ताहिर हुसैन का घर दिल्ली दंगों की फैक्ट्री बन गया था.  Zee News अकेला ऐसा चैनल था.जिसने पहले दिन से ताहिर हुसैन की भूमिका पर सवाल उठाए थे. इन दंगों में भूमिका निभाने में पूर्व पार्षद इशरत जहां की भी अहम भूमिका रही. इशरात जहां वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर पार्षद बनी थीं. इशरत जहां की शादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता परवेज हाशमी के बेटे फरहान हाशमी से हुई है. 

कोड वर्ड के जरिए दंगों को दिया गया अंजाम
दंगों की इस साजिश को गोपनीय तरीके से अंजाम देने के लिए कई तरह के Code Words भी रखे गए थे. उदाहरण के लिए एक कोड वर्ड था - ईद पर नैनीताल चलो. इसका अर्थ था सड़कों को Block करना. दूसरा कोड वर्ड था चांद रात. जिसका मतलब था चक्का जाम करने से पहले की रात. 

दंगों के लिए बना तीन चरणों वाला प्लान
दिल्ली में हुए दंगे चीन चरणों में अंजाम दिए गए थे. पहले चरण के तहत विरोध प्रदर्शन किए गए. दूसरे चरण के तहत सड़कों को जाम किया गया और तीसरे चरण के तहत दंगों को अंजाम दिया गया. ताहिर हुसैन भले ही इन दंगों का मास्टर माइंड था. लेकिन उसके साथ इसमें कई और किरदार भी थे । जैसे खालिद सैफी का काम लोगों को भड़काना था, उमर खालिद का काम इसके लिए पैसों की व्यवस्था और राजनैतिक समर्थन हासिल करना था और ताहिर हुसैन का काम.इन दंगों के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना था ।

दंगों के लिए देश- विदेश से आए करोड़ो रूपये
इन दंगों को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर पैसों की भी व्यवस्था की गई थी.  Zee News के पास मौजूद कागजातों के मुताबिक आरोपियों को Bank Accounts में और कैश के रूप में एक करोड़ 62 लाख 46 हज़ार रुपये दिए गए थे. इनमें से एक करोड़ 47 लाख 98 हज़ार रुपए दिल्ली में 20 जगहों पर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन और दंगा करवाने पर खर्च किए गए. इसी रकम से दंगों के लिए हथियार भी खरीदे गए. दिल्ली पुलिस की जांच में ये भी पता चला है कि इसके लिए सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि UAE,ओमान जैसे देशों से भी पैसा आया था. 

ताहिर हुसैन के खाते में दंगो के लिए 1 करोड़ 32 रुपये पहुंचे
दंगे के जिन आरोपियों के पास सबसे ज्यादा पैसा आया. उनमें ताहिर हुसैन, मिरान हैदर, इशरत जहां, शिफा उर रहमान और खालिद सैफी प्रमुख हैं. सबसे ज्यादा पैसा आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने अपने Bank Account में और कैश के जरिये जमा किया. ये रकम थी एक करोड़ 32 लाख 47 हज़ार रुपये.  इनमें से एक करोड़ 29 लाख रुपये विरोध प्रदर्शन, दंगों के लिए भीड़ जमा करने और हथियार खरीदने पर खर्च किए गए.

दंगा आरोपी इशरत जहां को 5 लाख 41 हजार रुपये की फंडिंग मिली
पूर्व पार्षद इशरत जहां के पास 5 लाख 41 हज़ार रुपये आए. इनमें से 4 लाख 60 हज़ार रुपये प्रदर्शनों और हथियार खरीदने पर खर्च हुए. शफीउर रहमान के पास 12 लाख 88 हज़ार रुपये से ज्यादा रकम आई. इनमें से 5 लाख 55 हज़ार रुपये उसे कतर, ओमान, सऊदी अरब और UAE जैसे देशों से मिले. इनमें से विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए 9 लाख 34 हज़ार रूपये से ज्यादा खर्च किए गए.

मिरान हैदर को 5 लाख और खालिद सैफी को 6 लाख रुपये का फंड मिला
दंगों के एक और आरोपी मिरान हैदर को कुल 5 लाख 46 हज़ार रुपये मिले. इनमें से 2 लाख 67 हज़ार रुपये दंगों के लिए निकाले गए. मिरान हैदर ही वो रजिस्टर मेंटेन करता था. जिसमें इस पूरे लेनदेन की जानकारी लिखी होती थी. खालिद सैफी को Bank Transfer और कैश के रूप में 6 लाख 23 हज़ार रुपये हासिल हुए. जिनमें से 2 लाख 11 हज़ार रुपये दंगों पर खर्च किए गए.

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