VDG in JK: आतंकियों के खात्मे के लिए गांवों के लोगों ने उठाए हथियार, कैसे भारतीय सेना की आंख-कान बनी हुई है VDG?
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VDG in JK: आतंकियों के खात्मे के लिए गांवों के लोगों ने उठाए हथियार, कैसे भारतीय सेना की आंख-कान बनी हुई है VDG?

What is VDG: जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खात्मे के लिए अब गांवों के लोगों ने भी हथियार उठा लिए हैं. वहां गांवों की रक्षा के लिए बनी विलेज डिफेंस कमेटी भारतीय सेना की आंख-कान बनी हुई है. 

VDG in JK: आतंकियों के खात्मे के लिए गांवों के लोगों ने उठाए हथियार, कैसे भारतीय सेना की आंख-कान बनी हुई है VDG?

What is VDG in Jammu Kashmir: पाकिस्तानी अपने पाले हुए आतंकी सपोलों को भेजकर जम्मू कश्मीर में दहशतगर्दी करवाता है. जिससे घाटी को अस्थिर करके भारत की एकता और अखंडता को हिला सके. लेकिन शहबाज की बुज़दिल गैंग क्या ये नहीं जानती कि हर हिंदुस्तानी का फौलादी सीना सरहद पार से होने वाली हर साजिश का मुकाबला कर रहा है. जम्मू कश्मीर में गांवों के लोगों ने आतंकियों से मुकाबले के लिए सेना के साथ मिलकर हथियार उठा लिए हैं. वहां पर विलेज डिफेंस गार्ड दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार हैं.  

हिंदुस्तानियों का ये हौसला ही आतंकिस्तान के मंसूबों को चकनाचूर करने के लिए काफी है. भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कश्मीरियों ने फिर हथियार उठा लिए हैं. 

PAK से युद्ध के लिए तैयार VDG

लाइन ऑफ़ कंट्रोल यानि LoC और आस पास के गांवों में सेना प्रशिक्षण अभियान चला रही है. भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के सरहदी इलाकों में विलेज डिफेंस गार्ड तैयार कर रही है. गांव वालों को ही आपात परिस्थिति के लिए हथियार चलाने ट्रेनिंग दी जा रही है.

पाकिस्तान से युद्ध के लिए VDG तैयार हो रहे हैं. जो आतंकियों और उनके समर्थकों को सबक सिखाने का दम रखते हैं. उन्हें लगातार ट्रेनिंग की जा रही है, जिससे वे अपनी धरती की ओर आंख उठाने वालों को पस्त कर सकें. विलेज डिफेंस गार्ड के नाम से ही आप समझ गए होंगे. लेकिन असल में ये क्या होते हैं और ये कब से तैयार किए जा रहे हैं. ये अब जान लीजिए.

कौन होते हैं विलेज डिफेंस गार्ड?

दरअसल, अपने गांव की रक्षा करने वाले लोगों को ही विलेज डिफेंस गार्ड कहा जाता है. ये एक तरह से प्रशिक्षित लोगों का ग्रुप होता है, जो हथियार चलाना जानते हैं. इस ग्रुप में गांव के कुछ लोग मेंबर होते हैं, जो पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर काम करते हैं. इन लोगों को ट्रेनिंग देने के बाद हर मेंबर को एक गन और 100 राउंड गोलियां दी जाती हैं.

जरुरत पड़ने पर ये लोग अपने ऊपर और अपने गांव के ऊपर आने वाले खतरे से निपटने में सक्षम होते हैं. वैसे तो हिंद की सेना चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए रहती है. लेकिन इन लोगों को ट्रेनिंग की वजह ये है कि अंदरुनी क्षेत्रों और जंगली इलाकों में अगर कोई हमला हो या संदिग्ध गतिविधि दिखे तो वहां ये कारगर साबित होते हैं. 

विलेज डिफेंस गार्ड का इतिहास

गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 1995 को विलेज डिफेंस कमेटी का गठन किया था. साल 2022 में इसका नाम बदलकर विलेज डिफेंस गार्ड्स कर दिया गया. करीब 22 साल पहले अप्रैल 2003 में पुंछ के जंगलों में ऑपरेशन सर्पविनाश में इनका बड़ा रोल था. पीर पंजाल की पहाड़ियों में हिल काका में 700 आतंकी छिपे थे. तब सेना के साथ मिलकर गुर्जर लोगों ने 83 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था.

जिस दौर में विलेज डिफेंस कमेटी बनाई गई थी. उस दौर में कश्मीर में आतंक चरम पर था. इसी से निपटने के लिए गांवों में भी एक तरह की सेना तैयारी की गई थी. जो सरहद के आसपास वाले संवेदनशील इलाकों में अपने गांवों की रक्षा के लिए जुटे होते हैं. पहलगाम हमले के बाद अब भारतीय फौज ने इन लोगों की ट्रेनिंग तेज कर दी है.

गांव वालों की ट्रेनिंग ना सिर्फ हिंद के हौसलों की बानगी है बल्कि आतंकियों को कड़ा संदेश भी है कि अगर तुम जम्मू कश्मीर के गांवों में भी घुसोगे तो बचोगे नहीं.

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