नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल के लगातार आसमान छूते दाम ने आम आदमी का बजट गड़बड़ा दिया है तो वहीं गाड़ियों की बढ़ती संख्या से प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. पेट्रोल-डीजल समेत अन्य जीवाश्म ईंधन (Fossil fuel) के बढ़ते खपत के चलते ग्रीन हाउस गैसेस रिलीज होती हैं, इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के एक रिसर्च के मुताबिक दुनिया भर में होने वाली पांच में से 1 मौतों के लिए जीवाश्म ईंधन की वजह से होने वाला प्रदूषण जिम्मेदार है. 


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ऐसे में ये जरूरी हो गया कि इसके ऑल्टरनेटिव फ्यूल के इस्तेमाल की तकनीकी विकसित की जाए. जो सस्ती होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी हो. और आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इस कड़ी में एक बड़ी सफलता हासिल की है.


IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों ने खोज निकाली तकनीक


आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के वैज्ञानिकों ने बहुत कम लागत में पानी से हाइड्रोजन ईंधन (Hydrogen Fuel) को अलग करने की तकनीक खोज निकाली है. आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स की एक टीम ने हाइड्रोजन प्रोडक्शन पायलट प्लांट में ईंधन बनाकर तैयार कर लिया है.


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हाइड्रोजन ईंधन होगा 'फ्यूचर फ्यूल'


आईआईटी दिल्ली के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रोफेसर श्रीदेवी उपाध्यायुला ने बताया की यह फ्यूचर फ्यूल है. ये पेट्रोलियम ईंधन का बेहतर विकल्प साबित होगा. इससे ग्रीन हाउस गैस कम रिलीज होगी. एलपीजी सिलेंडर की तरह ही हाइड्रोजन ईंधन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.


पानी से चलेगी कार!


उन्होंने बताया कि आमतौर पर पानी से 2000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अलग होते हैं. लेकिन आईआईटी दिल्ली की टीम ने इसे सल्फर आयोडिन थर्मोकेमिकल हाइड्रोजन प्रोसेस (Sulphur-Iodine thermochemical hydrogen cycle) के जरिए आसान बनाया है. इस प्रोसेस में आयोडीन और सल्फर का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में लगभग 150 डिग्री सेल्सियस पर अलग करते हैं. यही नहीं आयोडीन और सल्फर को रिसायकल भी किया जा सकेगा. ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब आपकी गाड़ी पेट्रोल-डीजल नहीं बल्कि पानी से चलेगी और ये बेहद सस्ता भी होगा.  


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लैब में तैयार होगा हाइड्रोजन फ्यूल


बता दें कि 9 स्टेप वाले इस प्रोजेक्ट के 6 स्टेप्स पूरे हो चुके हैं. वैज्ञानिकों ने लैब में हाइड्रोजन ईंधन बनाकर भी दिखाया और इससे टेस्ट भी किया गया. इस प्रोजेक्ट पर डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से प्रोफेसर श्रीदेवी उपाध्यायुला, प्रोफेसर अशोक एन भास्करवार, प्रोफेसर अनुपम शुक्ला और फिजिक्स डिपार्टमेंट से प्रोफेसर सास्वता भट्टाचार्य सहित कई स्टूडेंट्स भी जुड़े हुए हैं. 


कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि पानी जैसे रिन्यूएबल एनर्जी के रिसोर्सेज को ईंधन बनाने के लिए इस्तेमाल करना एक बेहद इनोवेटिव आइडिया है, जो पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकता है.