यह सेंसर ओजोन और नाइट्रोजन ऑक्साइड सहित हानिकारक गैसों के स्तर को मापेगा.
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कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर के वैज्ञानिकों ने प्रदूषण मापने का अत्यंत सस्ता सेंसर विकसित किया है. इस संबंध में प्रोफेसर एस एन त्रिपाठी ने बताया कि यह सेंसर ओजोन और नाइट्रोजन ऑक्साइड सहित हानिकारक गैसों के स्तर को मापेगा. उन्होंने बताया कि इस क्षमता के सेंसर की कीमत आमतौर पर एक करोड़ रुपये के लगभग होती है, लेकिन यहां के वैज्ञानिकों ने इसे मात्र 50 हजार रुपये में तैयार किया है.
त्रिपाठी ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि सेंसर का परीक्षण जून में होगा और अगर परीक्षण सफल रहा तो पहले चरण में इस सेंसर को देश के 150 शहरों में लगाया जाएगा. आपको बता दें कि, देश की सर्वश्रेष्ठ प्रौधोगिकी संस्था भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थी और वहां कार्य कर रहे वैज्ञानिक की इस नवीनतम पहल से देश में कम पैसे में प्रदूषण को नापना संभव हो पाएगा.
इससे पहले भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के वैज्ञानिकों कई नई खोज भी की है. कुछ दिनों पहले भी यहां के वैज्ञानिकों ने फिल्मी कैरेक्टर 'मिस्टर इंडिया' के अदृश्य होने जैसा मिलता-जुलता फॉर्मूला खोजने का दावा किया था. जिसके पहन लेने या ओढ़ लेने से भारतीय सेना के जवान, उनके टैंक, लड़ाकू विमान दुश्मन के राडार और जासूसी कैमरों की नजर से ओझल हो जाएंगे. उनका दावा था कि इस तरह देखे ना जाने के कारण दुश्मन देश के ठिकानों पर हमला करना और उन्हें नेस्तनाबूद करना ज्यादा आसान होगा.
दुश्मन देशों को उनके ही घर में घुसकर मारना, सर्जिकल स्टाइक करना, इस तरह के युद्ध कौशल में भारतीय सेना के तीनों अंग माहिर हैं. रेतीला रेगिस्तान हो या खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां, आर्मी जवान हर मुश्किल से जूझकर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हैं. आसमान के रास्ते दुश्मन के ठिकानों को भेदने में हमारे लड़ाकू विमान कभी नहीं हारे तो समंदर में भारत के जंगी जहाजों ने मोर्चा संभाले रखा. लेकिन सैन्य अभियानों में जवानों की शहादत और रक्षा सामग्रियों का नुकसान का सामना भी मुल्क को करना पड़ता है.
इस नुकसान को कम करने के लिए आईआईटी, कानपुर ने अद्भुत खोज करने का दावा किया था. जिससे ऐसा मेटामैटीरियल ईजाद हुआ था, जिसकी कोटिंग से जवानों, टैंकों और विमानों को खोजी उपकरणों की नजरों में नहीं आ पाएगी.