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नई दिल्ली: आईआईटी-दिल्ली (IIT-Delhi) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली को कोरोना के सबसे बुरे दौर से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. यहां कोविड-19 संक्रमण के रोजाना लगभग 45,000 केस आ सकते हैं. इनमें से 9,000 मरीज ऐसे होंगे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होगी. यह रिपोर्ट कोरोना की तीसरी लहर को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जमा कराई गई है.
शुक्रवार को दायर की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के संकट से उबरने के लिए शहर को रोजाना कुल 944 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत होगी. इसे लेकर जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार से 4 सप्ताह के भीतर एक चार्ट दाखिल करने को कहा है. इसमें रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर दी गई समयसीमा तक जरूरी कदम उठाने की योजना बताने के लिए कहा गया है. अदालत ने रिपोर्ट के निष्कर्षों में से एक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि सरकार को विभिन्न जगहों पर और अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयां स्थापित करनी चाहिए.
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पीठ ने कहा, 'हम सदी में एक बार आने वाली महामारी से निपट रहे हैं. ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, आखिरी महामारी 1920 में आई थी. ऑक्सीजन मैन्यूफेक्चरिंग प्लांट की स्थापना को पहली प्राथमिकता माना जाना चाहिए.'
आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट में 3 स्थितियों का जिक्र किया गया है. पहली स्थिति में कोरोना की दूसरी लहर की जैसी परिस्थितियों के रहने पर रोगियों की संख्या, अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या, ऑक्सिजन की जरूरत का अनुमान लगाया गया है. दूसरी स्थिति नए मामलों के 30 फीसदी बढ़ने की सूरत में पड़ने वाली जरूरतों को लेकर है. वहीं तीसरी स्थिति में रोगियों की संख्या में 60 परसेंट की बढ़ोतरी होने को लेकर बात की गई है. इसी तीसरी स्थिति में रोजाना 45 हजार से अधिक मामले आने का अनुमान लगाया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर संजय धीर ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को लेकर कोर्ट में कहा कि ऑक्सीजन की भंडारण क्षमता में वृद्धि, दिल्ली के बाहर से आपूर्ति में सुधार और क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकरों की कमी को दूर करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए. साथ ही ऑक्सीजन के लिए रिफिलरों की संख्या बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है. इसके तहत अस्पतालों को स्थानीय रिफिलिंग स्टेशन स्थापित करने पर भी विचार करने के लिए कहा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार को वितरण को सुव्यवस्थित करने के लिए 20-100 टन की क्षमता वाले 20-25 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर खरीदने चाहिए.