SC terms plea on OBC certificates for children: क्या ओबीसी कोटे के लिए किसी व्यक्ति की पात्रता केवल उसके पिता की जाति से निर्धारित होनी चाहिए? न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक एकल ओबीसी मां द्वारा अपने बेटे के लिए उठाए गए मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताई है. जानें पूरी खबर.
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OBC certificates for children of Singal Children: सिंगल मदर के बच्चे को ओबीसी सर्टिफिकेट मिले या नहीं, इसको लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी को दिल्ली की एक महिला द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.डी. संजय ने भी इस मुद्दे को महत्वपूर्ण मानते हुए कोर्ट से इसकी गहन जांच की मांग की है.
केंद्र सरकार ने भी किया समर्थन
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने भी एक महिला द्वारा दायर याचिका द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के विचार का समर्थन किया, जो अपने पति से अलग हो गई है और अपने बच्चे के साथ रहती है. उन्होंने शुरू में कहा था कि किसी की जाति का निर्धारण कैसे किया जाए, यह राज्यों का विशेषाधिकार है. इस तरह के मामलों का फैसला अलग-अलग राज्यों पर छोड़ने के इच्छुक नहीं, पीठ ने कहा, "हम दिशा-निर्देश तय करेंगे."
क्या है याचिका?
याचिकाकर्ता ने मौजूदा दिशा-निर्देशों को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि OBC सर्टिफिकेट तभी मिल सकता है, अगर बच्चे का पिता OBC हो. लेकिन कोर्ट ने इसे सिर्फ राज्यों के भरोसे छोड़ने से इनकार कर दिया और कहा, "हम इस बारे में दिशा-निर्देश तय करेंगे." कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि अगर एक OBC महिला की अंतरजातीय शादी होती है, तो क्या उसके बच्चे
OBC सर्टिफिकेट के हकदार होंगे?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जुलाई में अंतिम सुनवाई करेगा. कोर्ट ने 2012 के एक फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें अंतरजातीय विवाह से पैदा हुए बच्चे की जाति तय करने का मुद्दा उठा था. उस केस में कोर्ट ने कहा था कि बच्चे की जाति तय करते वक्त सिर्फ पिता की जाति को आधार नहीं बनाया जा सकता. अगर बच्चा अपनी मां के साथ रहता है और उसी की तरह सामाजिक परिस्थितियों का सामना करता है, तो उसे मां की जाति का लाभ मिल सकता है. खासकर तब, जब बच्चे को पिता की ऊंची जाति से कोई सामाजिक-आर्थिक फायदा न मिला हो.
क्या है मामला? किसे मिलेगा फायदा
मामले की याचिकाकर्ता संतोष कुमारी दिल्ली नगर निगम से रिटायर्ड टीचर हैं. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने कहा कि OBC से जुड़े मामले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन कोर्ट को इस बारे में दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए. इससे सिंगल OBC माताओं के बच्चों को बिना पिता के दस्तावेजों के भी सर्टिफिकेट मिल सकेगा.
यह मामला न सिर्फ सामाजिक न्याय से जुड़ा है, बल्कि यह भी बताता है कि पुराने नियमों को बदलने की जरूरत है, ताकि सिंगल माताओं और उनके बच्चों को उनका हक मिल सके. कोर्ट का फैसला इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.