Trending Photos
DNA Analysis on Tajinder Bagga: देश की पुलिस पर अक्सर ये आरोप लगता है कि कई बार वो अपने इलाके का हवाला देकर केस दर्ज करने से मना कर देती है. फरियादी को टरका देती है और दूसरे थाने में रिपोर्ट लिखवाने को कहकर ड्यूटी से पीछा छुड़ा लेती है. पुलिस की कोशिश रहती है कि उसके थाने में कम से कम केस दर्ज हों, सुख-शांति बनी रहे और गुडबुक बनी रहे. इसे दो थानों या दो जिलों या दो राज्यों के बीच सीमा विवाद भी कह दिया जाता है. लेकिन आज आपको सीमा विवाद से उलट पुलिस के नए अवतार के बारे में जानना चाहिए. इसमें पुलिस के 3 चेहरे हैं, पहला पंजाब पुलिस, दूसरा हरियाणा पुलिस और तीसरा दिल्ली पुलिस.
आज पंजाब पुलिस की एक टीम दिल्ली के जनकपुरी पहुंची और बीजेपी नेता तजिंदर सिंह बग्गा (Tajinder Bagga) को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया और मोहाली के लिए रवाना हो गई. लेकिन इस कार्रवाई के विरोध में तजिंदर बग्गा के पिता प्रीतपाल सिंह ने दिल्ली के जनकपुरी थाने में पंजाब पुलिस के खिलाफ किडनैपिंग का केस दर्ज करा दिया.
इसके बाद FIR दर्ज होते ही दिल्ली पुलिस भी एक्शन में आ गई और दिल्ली कोर्ट से सर्च वारंट ले लिया. कोर्ट ने बग्गा को ढूंढ कर कोर्ट में पेश करने को कहा. उसके बाद इसी सर्च वारंट के आधार पर दिल्ली पुलिस ने हरियाणा पुलिस से मदद मांगी. तब तक बग्गा को लेकर निकली पंजाब पुलिस की टीम हरियाणा क्रॉस कर रही थी. बग्गा की लोकेशन मिलने के बाद हरियाणा पुलिस ने कुरुक्षेत्र के पास नाकेबंदी कर ली और बग्गा को लेकर पंजाब के मोहाली लौट रही पंजाब पुलिस की टीम को रास्ते में ही रोक लिया. पंजाब पुलिस को बग्गा को मोहाली कोर्ट में पेश करना था.
यानी पंजाब पुलिस की टीम, उनके कब्जे में बीजेपी का नेता और उन्हें रोकती हरियाणा पुलिस. अपनी टीम को रोके जाने के बाद पंजाब पुलिस की तरफ से हरियाणा के DGP को चिट्ठी भेजी गई, इस चिट्ठी के साथ बग्गा के खिलाफ दर्ज FIR की कॉपी भी भेजी गई. पंजाब पुलिस ने अपने LETTER में कहा कि उसकी कार्रवाई नियमों के अनुसार थी और हरियाणा पुलिस ने उसे अवैध तरीके से रोककर सरकारी काम में बाधा डाली है. बग्गा अभी कुरुक्षेत्र के पीपली में ही थे, तभी हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने ऐलान किया कि वो बग्गा को पंजाब नहीं दिल्ली पुलिस को सौंपेंगे और ऐसा ही हुआ भी. यहां हुई तीसरी पुलिस, यानी दिल्ली पुलिस की एंट्री. दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारी कुरुक्षेत्र पहुंचे और पूरे हंगामे के करीब 7 घंटे बाद बग्गा को लेकर वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गए.
यही नहीं दिल्ली पुलिस ने तजिंदर बग्गा मामले में पंजाब पुलिस पर 2 केस भी दर्ज कर लिए थे. इसमें पहली FIR बग्गा के अपहरण की थी, जबकि दूसरी बग्गा के पिता के बयान के आधार पर उनके साथ मारपीट की. यानी पंजाब की पुलिस बग्गा को गिरफ्तार करने पहुंची थी, लेकिन दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस ने मिलकर उसे ऐसा करने से रोक लिया. बग्गा पंजाब पुलिस की गिरफ्त से छूटकर दोबारा दिल्ली लौट आए. दिल्ली पहुंचने के बाद बग्गा को दिल्ली पुलिस की तरफ से सुरक्षा भी मुहैया करवाई गई.
ये हाईवोल्टेज ड्रामा करीब 8 घंटे तक चला और दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे. वहीं पंजाब पुलिस ने दावा किया कि बग्गा को पहले भी 6 बार नोटिस भेजा जा चुका था और उसने पूरी कार्रवाई नियमों के मुताबिक ही की थी. मोहाली के एसपी ने कहा कि आज हमने छठी नोटिस के बाद उनको अरेस्ट किया है. ये गिरफ्तारी लीगल तरीके से हुई है. हमने रिकॉर्डिंग की है. दिल्ली पुलिस की रिकॉर्डिंग है उन्होंने इंटिमेशन नहीं ली है.
तजिंदर बग्गा पर ये कार्रवाई क्यों हुई, आपको उसका बैकग्राउंड भी जानना चाहिए. 25 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधान सभा में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार पर बनी फिल्म 'The Kashmir Files' पर बयान दिया था. इस दौरान उन्होंने फिल्म को टैक्स फ्री करने की जगह उसे यूट्यूब पर अपलोड करने की भी सलाह दी थी.
इसके बाद बीजेपी नेता तजिंदर सिंह बग्गा ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विवादास्पद ट्वीट किए. इन ट्वीट के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता सन्नी सिंह अहलुवालिया ने बग्गा के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. अपनी शिकायत में उन्होंने बग्गा पर लोगों की धर्मिक भावनाओं को भड़काने और अरविंद केजरीवाल को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसी शिकायत को आधार बनाते हुए पंजाब पुलिस ने 1 अप्रैल को मोहाली के सायबर क्राइम थाने में धारा 153-A, 505, 505(2), 506 के तहत मामला दर्ज किया था.
यानी तजिंदर बग्गा के लिए तीन-तीन राज्यों की पुलिस एक्टिव हो गई. पुलिस वर्सेस पुलिस जैसे हालात बन गए. हरियाणा पुलिस की तरफ से कहा गया कि उन्हें दिल्ली पुलिस की तरफ से अपहरण की जानकारी दी गई थी और इसलिए उन्होने पंजाब पुलिस की टीम को रोक लिया और फिर बग्गा को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी सामने आए और उन्होने इस पूरे मामले में पंजाब पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए.
हरियाणा पुलिस की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उसे दिल्ली पुलिस से जो सर्च वारंट भेजा गया, उसे लागू किया गया. हरियाणा पुलिस की तरफ से पंजाब पुलिस के किसी भी अफसर या पुलिस कर्मचारी को हिरासत में लेने की बात भी खारिज कर दी. अब पंजाब पुलिस कानून का हवाला देकर खुद को सही बता रही है, जबकि दिल्ली और हरियाणा पुलिस भी इसी कानून की दलील देकर इस कार्रवाई को गलत बता रही है. लेकिन मामले को अधिक स्पष्ट करने के लिए हम आपको दिल्ली हाई कोर्ट की एक गाइडलाइन की जानकारी देंगे. दिल्ली हाई कोर्ट ने जनवरी 2020 में इसी तरह के एक मामले में सुनवाई करते हुए एक कमिटी गठित की थी. इस कमेटी की गाइडलाइन्स के अनुसार-
- अगर कोई भी पुलिस अधिकारी अपने केस के सिलसिले में राज्य से बाहर जाता है तो उसे पहले वरिष्ठ अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी.
- ऐसी स्थिति में पुलिस एमरजेंसी में बिना किसी वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकती है, लेकिन इस मामले में उसे इसके पीछे की लिखित वजह की जानकारी देनी होगी.
- गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को राज्य से बाहर ले जाने से पहले उसे उसके वकील से मशविरा करने का मौका दिया जाएगा.
- गिरफ्तारी करने के बाद राज्य छोड़ने से पहले पुलिस को उस इलाके के स्थानीय थाने में जाकर कर वहां के रोजनामचे में एंट्री करनी होगी, जिसमें गिरफ्तारी से जुड़ा पूरा ब्योरा दर्ज किया जाएगा.
पुलिस व्यव्स्था का दुरुपयोग कर रही BJP
तीन राज्यों की पलिस के इस एक्शन पर सियासत भी शुरू हो गई. दिल्ली बीजेपी ने इस कार्रवाई के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर पुलिस के दुरुपयोग का आरोप लगाया. बीजेपी के साथ कांग्रेस ने भी अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा. वहीं आम आदमी पार्टी ने बीजेपी नेता बग्गा पर कार्रवाई को सही बताया और पंजाब पुलिस को रोके जाने की आलोचना की.
हमारे देश में पुलिस पर अक्सर सत्ताधारी पार्टी की सुविधा के हिसाब से काम करने के आरोप लगते हैं. ये कह दिया जाता है कि सत्ता में जैसी पार्टी, वैसी पुलिस और इस वजह से पहले भी राज्यों की पुलिस के बीच विवाद की खबरें आती रही हैं. इस मामले में भी यही बात कही जा रही है. पंजाब पुलिस ने जिन कानूनी तर्कों की दलील देते हुए बग्गा को गिरफ्तार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने भी उसी कानून का हवाला दिया और बग्गा को उसकी गिरफ्त से छुड़ा लिया. अब पूरा मामला पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंच चुका है और वहां तय होगा कि कौन सही था और कौन गलत.
देखें Video