India withdraws transshipment facility for Bangladesh: आखिर भारत ने डंके की चोट पर पूरी दुनिया को बता दिया है कि बांग्लादेश की उसने 'नस' क्यों काटी. चिकन नेक काटने का सपना देखने वाले यूनुस ने तो कभी कल्पना ही नहीं कि होगी कि भारत उनके विवादित बयान के बाद इस तरह जवाब देगा. मोदी सरकार से पंगा लेना यूनुस के लिए बहुत महंगा पड़ रहा है. जानें पूरी खबर.
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India Bangladesh Relations: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने सोचा नहीं होगा कि वह चीन को खुश करने के लिए जा बयान दे रहे हैं, उसके बाद भारत का रिएक्शन क्या होगा. जैसे ही यूनुस ने विवादित बयान दिया, भारत ने बांग्लादेश की 'नस' काट दी. अब इस मामले में भारत सरकार ने खुले तौर पर बात की है. आइए जानते हैं पूरी कहानी.
भारत ने क्या कबूला?
भारत ने बांग्लादेश को तीसरे देशों में निर्यात के लिए दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को इसी महीने वापस ले लिया था. इस मामले पर अब विदेश मंत्रालय ने 17 बताया कि यह फैसला बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कुछ कदमों के जवाब में लिया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम एक लोकतांत्रिक, समावेशी और समृद्ध बांग्लादेश के पक्ष में हैं. लेकिन व्यापार के मामले में, हमें कुछ कदम उठाने पड़े क्योंकि बांग्लादेश की ओर से कुछ फैसले लिए गए, जिनका असर हमारे द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ा.” जायसवाल ने यह भी कहा कि मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहूंगा कि इन कदमों की घोषणा से पहले बांग्लादेश की तरफ से जो कुछ हुआ है, उस पर भी नजर डालिए. जैसे बांग्लादेश का भारतीय धागे के आयात पर रोक लगाना, तीन बंदरगाहों को बंद करना, युनूस का विवादित बयान देना.
बांग्लादेश की कैसे काटी 'नस'?
अब समझते हैं कि भारत ने कैसे बांग्लादेश की काट ली नस. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 8 अप्रैल को 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत बांग्लादेश को भारत के रास्ते भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों में सामान भेजने की इजाजत थी. इस सुविधा से बांग्लादेश, खासकर उसके रेडीमेड गारमेंट (आरएमजी) उद्योग को सस्ते और तेज व्यापार का फायदा मिलता था. अब बांग्लादेशी निर्यातकों को कोलंबो, मालदीव या दुबई जैसे रास्तों से सामान भेजना होगा, जिससे बांग्लादेश को लॉजिस्टिक्स में देरी और ज्यादा खर्च का सामना करना पड़ेगा. नेपाल और भूटान जैसे देशों का भी बांग्लादेश के साथ व्यापार प्रभावित हो सकता है. यानी बांग्लादेश को नुकसान होना तय है.
मोहम्मद यूनुस का क्या था विवादित बयान
भारत के इस कदम के पीछे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के उस बयान को अहम माना जा रहा है, जब यूनुस ने मार्च में चीन की यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘लैंडलॉक्ड’ बताया था. यूनुस ने बताया था कि बांग्लादेश ही इस क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र रास्ता है. उन्होंने चीन को बांग्लादेशी बंदरगाहों के जरिए भारत के पूर्वोत्तर में व्यापार बढ़ाने का न्योता भी दिया था. इन बयानों से भारत में खूब विरोध हुआ था. क्योंकि पूर्वोत्तर भारत की सिलिगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) जैसी जगह रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है.