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नई दिल्ली: नगालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को छह महीने (30 जून 2022) तक के लिए बढ़ा दिया गया है. गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है. यह कानून सेना को राज्य के अशांत क्षेत्र में कहीं भी स्वतंत्र रूप से संचालित करने के लिए व्यापक अधिकार देता है. जिन क्षेत्रों में एएफएसपीए (AFSPA) लागू है, वहां किसी भी सैन्यकर्मी को केंद्र की मंजूरी के बिना हटाया या परेशान नहीं जा सकता है.
आपको बता दें कि इस कानून का विरोध लंबे समय से जारी है. इस बीच ताजा मामले में कुछ आम नागरिकों की मौत के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के लिए केंद्र ने अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा नगालैंड (Nagaland) और असम (Assam) के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो (Neiphiu Rio) और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के बाद समिति का गठन किया गया.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी 5 सदस्यीय समिति की अगुवाई करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे. एक अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं. समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
आपको बता दें कि नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी' हो गई और 14 आम नागरिकों की मौत हो गई. नागरिकों की मौत के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है. अफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. इसमें AFSPA को बैन करने की मांग की गई.
(पीटीआई इनपुट के साथ)