Israel-Hamas Conflict: Palestine की नाराजगी का India ने दिया जवाब, ‘हमने पहले भी ऐसा ही किया है’
इजरायल से विवाद पर भारत के रुख से नाराज होकर फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने इजरायल के खिलाफ जांच के लिए लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से गैर-हाजिर रहकर एक बड़े अवसर को गंवा दिया है.
नई दिल्ली: इजरायल-हमास विवाद (Israel-Hamas Conflict) पर भारत (India) के रुख से नाराज फिलिस्तीन (Palestine) को नई दिल्ली ने जवाब दिया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में इजरायल के खिलाफ मतदान से दूर रहने पर भारत ने कहा है कि वह अपनी पूर्व की नीति पर कायम है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. विदेश मंत्रालय ने फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी (Riyad al-Maliki) के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि भारत पहले भी इस तरह से किसी एक देश के खिलाफ प्रस्ताव से दूर रहा है.
Sri Lanka का दिया हवाला
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘भारत इस नियम पर काम करता रहा है कि वह किसी एक देश के खिलाफ UNHRC की वोटिंग से दूर रहेगा. पिछले दिनों श्रीलंका के खिलाफ हुए मतदान को लेकर भी भारत का यही रुख था’. बता दें कि बीते सप्ताह गजा पट्टी में इजरायल की ओर से किए गए हमलों को मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हुए UNHRC में एक प्रस्ताव पेश किया गया था. इस प्रस्ताव पर वोटिंग में 14 देश गैरहाजिर रहे थे, जिनमें से भारत भी शामिल था.
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Israel के समर्थन में उठाया कदम?
भारत ने गैरहाजिरी पर कोई टिप्पणी नहीं की थी, लेकिन इसे इजरायल के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के समर्थन में 47 सदस्यों वाली कमिटी में से 24 ने यहूदी मुल्क इजरायल के खिलाफ मतदान किया था. इसके अलावा 9 सदस्यों ने इजरायल का समर्थन किया और भारत सहित 14 देश इस मतदान से दूर रहे. वोटिंग से दूर रहने वाले देशों में इटली, डेनमार्क, जापान, फ्रांस, साउथ कोरिया, यूक्रेन, नेपाल भी शामिल थे.
Riyad al-Maliki ने ये कहा था
भारत के रुख से नाराज होकर फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने इजरायल के खिलाफ जांच के लिए लाए गए निर्णायक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर वोटिंग से गैर-हाजिर रहकर एक बड़े अवसर को गंवा दिया है. मलिकी ने यह भी कहा था कि इजरायल पर प्रस्ताव में वोटिंग न कर भारत ने जवाबदेही, शांति और न्याय की राह पर बढ़ने के मौके को खोया है. अब भारत ने इस पत्र का जवाब देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी पुरानी नीति पर कायम है.