भारत में चीन के खिलाफ शुरू हुआ ये कैंपेन, ड्रैगन को लगेगी एक लाख करोड़ रुपये की चपत!
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भारत में चीन के खिलाफ शुरू हुआ ये कैंपेन, ड्रैगन को लगेगी एक लाख करोड़ रुपये की चपत!

जिन वस्तुओं के आयात न होने से भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह सारी चीजें भारत में पहले से ही बनाई जा रही है.

भारत में चीन के खिलाफ शुरू हुआ ये कैंपेन, ड्रैगन को लगेगी एक लाख करोड़ रुपये की चपत!

नई दिल्ली: लद्दाख सीमा पर चीन-भारतीय सैनिकों (India-China Border Dispute) के बीच टकराव के बाद चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) खुलकर सामने आया है. कैट ने चीनी सामान के बहिष्कार के लिए  'भारतीय सामान-हमारा अभिमान' कैंपेन की शुरूआत की है. कैट ने चीन से आयात होने वाले करीब 3 हजार प्रोडक्ट्स की लिस्ट बनाई है. जिसमें से आज 500 वस्तुओं की लिस्ट जारी की है. इन वस्तुओं के आयात न होने से भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्‍योंकि वह सारी चीजें भारत में पहले से ही बनाई जा रही हैं.

  1. भारत में शुरू हुआ चीनी सामानों के बहिष्कार का कैंपेन
  2. कैट ने लिस्ट में शामिल किये 3 हजार प्रोडक्ट्स
  3. कैट ने जारी की आज लिस्ट

कैट के अनुसार, उनका लक्ष्य है कि दिसंबर 2021 तक चीनी सामानों के भारत द्वारा आयात में लगभग 13 बिलियन डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपए के उत्‍पाद कम कर दिए जाएं. कैट ने प्रोडक्ट्स लिस्ट में रोज-मर्रा में काम आने वाली वस्तुएं, खिलौने, फर्निशिंग फैब्रिक, टेक्सटाइल, बिल्डर हार्डवेयर, फुटवियर, गारमेंट्स, किचन का सामान, लगेज, हैंड बैग, कॉस्मेटिक्स, गिफ्ट आइटम, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, घड़ियां, ज्वेलरी, कपड़े, स्टेशनरी, घरेलू वस्तुएं, फर्नीचर, लाइटिंग, हेल्थ प्रोडक्ट्स, पैकेजिंग प्रोडक्ट, ऑटो पार्ट्स, दिवाली और होली का सामान, चश्में जैसी चीजों को शामिल किया है.

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि वर्तमान में चीन से भारत करीब 5 .25 लाख करोड़ सालाना का सामान आयात करता है. उन्होंने कहा कि हमने पहले चरण में करीब 3 हजार प्रोडक्ट्स को शामिल किया है. इससे भारत को चीन पर कम निर्भर रहना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल जिन वस्तुओं में टेक्नोलॉजी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, उन्हें बहिष्कार में शामिल नहीं किया गया है. जब तक इस प्रकार की टेक्नोलॉजी भारत या उसके मित्र देश के पास नहीं आ जाती, तब तक हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.

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