पाकिस्तान ना सिर्फ भारतीय वायुसेना के युद्धाभ्यास वाले सायरन से डरा हुआ है. बल्कि दिल्ली में हो रही हाईलेवल की बैठकें भी उसका डर लगातार बढ़ा रही हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था. आज 6 मई यानी लगभग 15 दिन हो गए हैं.
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India at War : पाकिस्तान ना सिर्फ भारतीय वायुसेना के युद्धाभ्यास वाले सायरन से डरा हुआ है. बल्कि दिल्ली में हो रही हाईलेवल की बैठकें भी उसका डर लगातार बढ़ा रही हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था. आज 6 मई यानी लगभग 15 दिन हो गए हैं. ना सिर्फ भारत में बदला लेने के लिए बेचैनी बढ़ रही है बल्कि सरकार पर भी पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में पीएम मोदी के साथ हर बड़ी बैठक बस यही उम्मीद बढ़ा रही है कि शायद अब अंतिम फैसला हो चुका है और सैन्य कार्रवाई किसी भी वक्त शुरु हो सकती है.
पीएम मोदी और एनएसए डोवल की मीटिंग
देश भर में सायरन की मॉक ड्रिल से पहले मंगलवार को पीएम मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के बीच लगभग 40 मिनट की मुलाकात हुई. प्रधानमंत्री के आवास पर हुई इस मीटिंग को बाकी बैठकों से अलग माना जा रहा है. एक तरफ पीएम ने सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी छूट दे दी है. वहीं सैन्य कार्रवाई के सफल होने तक इस पूरी एक्सरसाइज पर NSA की नजर बनी रहेगी.
- यानी सेना की कार्रवाई के लिये जरूरी समन्वय और गुप्त जानकारियों को साझा करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अजीत डोवल पर ही रहेगी.
- आसान भाषा में कहें तो देश की सभी जांच एजेंसियां अपने-अपने इनपुट NSA डोवल के साथ साझा कर रही होंगी
- और NSA उन जानकारियों को सेना के साथ शेयर करके उनकी तैयारियों को और बेहतर करने में मदद कर रहे होंगे.
तैयारियों का फाइनल टच
इसलिये पीएम और NSA के बीच आज की बैठक भारत की जवाबी कार्रवाई से जुड़ी तैयारियों को फाइनल टच देने के लिये महत्वपूर्ण है. ये भी संभव है कि पीएम के किसी महत्वपूर्ण सुझाव या आदेश को लेकर ये मीटिंग हुई हो.
कुल मिलाकर पिछले 24 घंटों में पीएम और NSA दो बार मिल चुके हैं. सोमवार को पीएम के साथ NSA और गृह सचिव गोविंद मोहन की मीटिंग हुई थी..जिसमें सुरक्षा तैयारियों को रिव्यू किया गया था..
सोमवार को ही रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पीएम मोदी से मुलाकात की. और उनके बीच आधे घंटे से ज्यादा समय तक की मीटिंग हुई. अब इस मुलाकात का मतलब समझिये-
- युद्ध के हालात बनते हैं तो युद्ध शुरु करने और रोकने का फैसला CCS में लिया जाता है. बुधवार को इसकी बैठक है.
- हमारे देश में राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर होते हैं और उनके दस्तखत से ही सेना को युद्ध करने का ऑर्डर मिलता है.
- हालांकि जब भी देश में युद्ध का ऐलान करने की बात होती है तो ये काम पॉलिटिकल लीडरशिप यानी प्रधानमंत्री करते हैं. साल 1999, 1971, 1965 और 1962 में युद्ध का ऐलान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने किया था.
#WarKaSiren | पीएम और डोवल की मीटिंग का 'इनसाइड विश्लेषण', 40 मिनट की बातचीत में 'आखिरी तैयारी' हो गई?#DNA #DNAWithRahulSinha #indiaVsPakistan #PMModi #AjitDoval @RahulSinhaTV pic.twitter.com/JjkKcRJXNT
— Zee News (@ZeeNews) May 6, 2025
- युद्ध के दौरान किसी मोर्चे पर मिलिट्री ऑपरेशन का फैसला तीनों सेनाओं के चीफ लेते हैं. वहीं Chief of Defence Staff यानी सीडीएस का काम तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाये रखना होता है.
- युद्ध या मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान सेना की तैयारियों के लिये किसी दूसरे डिपार्टमेंट से बातचीत करना, उनसे मदद लेने के काम डिफेंस सेक्रेटरी की मदद से होते हैं. जैसे अगर सेना को तेज रफ्तार से तैनाती के लिये रेलवे या किसी दूसरी मिनिस्ट्री से मदद चाहिए तो उसके लिये रक्षा सचिव ही बातचीत करते हैं.
- सेना को अपने लिये हथियार, गोला-बारूद, ईंधन सहित दूसरी जरूरतों का सामान भी डिफेंस सेक्रेटरी के दस्तखत से मिलता है. सेना अपनी जरूरतों को चेन ऑफ कमांड के जरिये रक्षा सचिव तक पहुंचाती है. और फिर हालात के मुताबिक इन जरूरतों पर फैसला लिया जाता है.
सख्त कार्रवाई करने की तैयारी पूरी!
कल सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक है. पहलगाम हमले के बाद दूसरी बार कैबिनेट की बैठक हो रही है. हालांकि इसमें पाकिस्तान या आतंकवादियों के खिलाफ़ कार्रवाई पर चर्चा या सलाह नहीं होगी. क्योंकि कैबिनेट में ऐसी चर्चा संभव नहीं है.
पिछले चार दिन की बात करें तो पीएम मोदी की मीटिंग नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ, होम सेक्रेटरी, डिफेंस सेक्रेटरी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मिल चुके हैं. दिल्ली के साथ सीमापार से आ रहे संकेतों को देखें तो ऐसा लग रहा है मानो सरकार अब पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर चुकी है.