India China News in Hindi: अमेरिका बेशक अभी भी दुनिया का सबसे ताकतवर देश है, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ढल रही है. अब भारत के हाथ ऐसा कारू का खजाना लग गया है, जिससे अब उसके दुनिया का सिरमौर बनने का रास्ता साफ हो गया है.
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India position in Rare Earths: रेयर अर्थ मिनरल्स, यानी दुर्लभ धातुएं, अब वैश्विक ताकत के नए खेल का केंद्र बन गई हैं. ये धातुएं मोबाइल, इलेक्ट्रिक कार, मिसाइल और मेडिकल मशीनों जैसी हाई‑टेक चीजों के लिए बेहद जरूरी हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू किया और अधिकांश चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिए. लेकिन उन्होंने एक बड़ी गलती कर दी और रेयर अर्थ्स पर ध्यान नहीं दिया.
चीन ने दशकों से बना रखी है पकड़
चीन ने दशकों से इन धातुओं की खदानों और प्रोसेसिंग पर पकड़ बना रखी थी. टैरिफ बढ़ाने के बावजूद अमेरिका को ये धातुएं चीन से ही मिलती रहीं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हुआ.
2025 में ट्रंप ने चीन को फिर से निशाने पर लिया और 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यू‑टर्न लिया और कहा कि शी जिनपिंग के साथ अच्छे संबंध हैं. यही क्लासिक ट्रंप की नीति-पहले धमकी, फिर बातचीत.
रेयर अर्थ्स में भारत के लिए छिपा अवसर
ट्रंप की इस यू‑टर्न नीति में भारत के लिए एक बड़ा अवसर छिपा है. भारत में रेयर अर्थ्स की अच्छी खदानें हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है. अमेरिका और यूरोप अब चीन के अलावा भरोसेमंद सप्लायर ढूंढ रहे हैं और भारत इस भूमिका को निभा सकता है.
भारत सरकार ने निवेश बढ़ाने और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने की योजनाएं तेज कर दी हैं. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश भारत में फाउंड्री और रिफाइनरी में साझेदारी करने की संभावना देख रहे हैं.
इन मुश्किलों पर पाना होगा काबू
अगर भारत सही समय पर खदानों और प्रोसेसिंग पर ध्यान देगा, तो वह वैश्विक हाई‑टेक सप्लाई‑चेन में स्थायी भागीदार बन सकता है. इसके अलावा, यह चीन पर रणनीतिक दबाव बनाने का भी अवसर है.
लेकिन खतरे भी हैं. खदानें तो हैं, लेकिन प्रोसेसिंग और मैग्नेट बनाने की विशेषज्ञता अभी सीमित है. इसलिए निवेश, तकनीकी साझेदारी और रिसाइक्लिंग जैसे कदम तुरंत उठाने होंगे. अगर भारत यह समय पर कर ले तो आर्थिक और रणनीतिक दोनों तरह के लाभ मिल सकते हैं.
(एजेंसी आईएएनएस)