DNA on INSV Koundinya: भारत ने एक बार फिर दुनिया को हैरान कर दिया. उसने अपनी प्राचीन नौवहन शक्ति को दर्शाने के लिए लकड़ी से बना विशालकाय जहाज बनाया है. खास बात ये है कि इस जहाज में एक भी कील नहीं लगाई गई है.
Trending Photos
DNA Analysis on India's Giant Wooden Ship INSV Koundinya: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन के हथियारों की ताकत का गुरूर चकनाचूर हो गया. लेकिन चीन नए नए हथियारों का एलान करके दुनिया को अब भी प्रभावित करने की कोशिश में लगा है. अब चीन ने एक उन्नत ड्रोन मदरशिप विकसित करने का दावा किया है. जो एक साथ 100 आत्मघाती ड्रोन छोड़ सकता है. एक साथ झुंड में ड्रोन छोड़कर दुश्मन के एयर डिफेंस को भ्रमित किया जा सकता है.
चीन इस तकनीक का इस्तेमाल दुश्मन की सुरक्षा प्रणालियों को निशाना बनाने के लिए करना चाहता है. चीन का ये ड्रोन मदरशिप unmanned aerial vehicle है. यानि इसे ऑपरेट करने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं होती. लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे काफी धीमा बता रहे हैं. जिससे इसे निशाना बनाना आसान है यानि जिस तरह चीन की मिसाइलें फेल हुईं. इस ड्रोन मदरशिप को भी आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.
प्राचीन काल में भी नेवी की महाशक्ति था भारत
DNA में हम कई बार आपको ये बता चुके हैं कि चीन के सामान की तरह चीन के हथियारों की भी कोई गारंटी नहीं है. अब ये बात सारी दुनिया जान चुकी है. लेकिन भारत के हथियार और रक्षा उपकरण हर कसौटी पर खरे साबित हुए. ये सिर्फ आपरेशन सिंदूर की बात नहीं है. पांचवी शताब्दी में भी भारत इतना ही उन्नत था.
आज आपको समंदर में भारत की पांचवी शताब्दी की शक्ति देखनी चाहिए.. जिसे एक चित्र से जीवित करके फिर से समंदर में उतारने का कमाल किया गया. आज कारवार नौसेना बेस पर INSV कौंडिन्य को आधिकारिक तौर पर नेवी में शामिल किया गया. INSV कौंडिन्य को सदियों पुरानी भारतीय तकनीक से तैयार किया गया है. इसमें एक भी कील का इस्तेमाल नहीं हुआ है.
गुजरात से ओमान की पहली यात्रा पर जाएगा जहाज
इतने पुराने जहाज का कोई मॉडल दुनिया में मौजूद नहीं. इसलिए अजन्ता की गुफाओं के एक चित्र को देखकर पूरे जहाज़ को बनाया गया. केरल के पारंपरिक कारीगरों ने इसे अपने हाथों से तैयार किया है. आज आप गर्व से से कह सकते हैं . दुनिया की किसी नौसेना के पास ऐसा जहाज़ नहीं होगा. इस जहाज़ को गुजरात से ओमान की पहली यात्रा पर भेजा जाएगा.
आज आपको ये भी समझना चाहिए..भारत के पांचवी शताब्दी के इस जहाज़ की क्या खासियत है . ये आधुनिक जहाजों से बिल्कुल अलग होने के बावजूद क्यों बिल्कुल सुरक्षित है
मछली के तेल से बनाया गया वाटर प्रूफ
इस प्राचीन जहाज़ में चौकोर पाल और लकड़ी की पतवारें हैं. जिसे हाथ से चलने वाले चप्पुओं से नियंत्रित किया जाता है. केरल के कारीगरों ने इस जहाज के लकड़ी के तख्तों को रस्सी से सिलकर तैयार किया. इसके बाद नारियल के रेशे और मछली के तेल से इसे वॉटर प्रूफ बनाया गया यानी इस जहाज़ में एक भी कील का इस्तेमाल नहीं हुआ. प्राचीन भारत में जहाज ऐसे ही बनते थे.
दुनिया देखेगी भारत की गौरवशाली परंपरा
नेवी ने इस जहाज के डिजाइन की जांच के लिए आईआईटी मद्रास की मदद ली. इंडियन नेवी ने भी इसकी सुरक्षा का पूरा परीक्षण किया है. इसके बाद इसे नौसेना में शामिल कर लिया गया. INSV कौंडिन्य प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास का जीवित प्रतीक भी बन गया है. ये जहाज़ अब जहां जहां की यात्रा पर जाएगा. वहां पर दुनिया भारत की गौरवशाली परंपरा को भी देखेगी. ये भी जानेगी दुनिया की चौथी शक्तिशाली सेना रखने वाला देश प्राचीन काल में भी कितना उन्नत था.