कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था संकट में है और हालातों को देखते हुए भारत में इंडोनेशियाई प्रयोग करना चाहिए. ये कहना है नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी का.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था संकट में है और हालातों को देखते हुए भारत में इंडोनेशियाई प्रयोग करना चाहिए. ये कहना है नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी का. पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत में बनर्जी ने कहा कि संकट के मद्देनजर धन के हस्तांतरण के संदर्भ में भारत को इंडोनेशिया से सीख लेकर लोगों के हाथों में नकदी थमा देना चाहिए. यह तरीका लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका होगा.
लोगों के हाथ में देंं पैसा
बनर्जी और गांधी COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव पर विचार-विमर्श कर रहे थे. तब बनर्जी ने सुझाव दिया कि 60 प्रतिशत आबादी के हाथों में पैसे देने से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित होने में मदद मिल सकेगी. बनर्जी ने बताया कि इंडोनेशिया ने फैसला किया है कि वह लोगों को सीधे नकद पैसा देगा, इसके लिए उसने सामुदायिक निर्णय प्रक्रिया को माध्यम बनाया.
उन्होंने कहा, "समुदाय यह निर्णय लेता है कि कौन जरूरतमंद हैं और किसे धन मिलना चाहिए." उन्होंने कहा कि इसे लेकर उन्होंने इंडोनेशियाई सरकार के साथ काम किया है और यह तरीका खराब साबित नहीं होगा. बनर्जी ने कहा कि यह एक ऐसा अनुभव है जिससे भारत सीख सकता है. उन्होंने कहा, "एक आपात स्थिति में, यह एक अच्छी नीति है."
राहुल गांधी ने इस पर कहा कि ऐसी संकल्पना को अपनाते हुए कोई भी जातिगत पूर्वाग्रह को समाप्त नहीं कर सकता है, इसका क्या हल होगा.
इस संबंध में, बनर्जी ने कहा कि केंद्र द्वारा लक्षित योजनाओं में कई लोग लाभ से वंचित रह जाते हैं, 'इसलिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'फंड्स डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए लोकल अथॉरिटीज की पहचान करनी चाहिए. भारत के पास पर्याप्त स्टॉक है और हम कुछ समय के लिए ऐसा कर सकते हैं. "
लोगों को अस्थायी राशन कार्ड दें
राहुल गांधी ने उनसे सत्ता के केंद्रीकरण के बारे में भी सवाल किया, इस पर बनर्जी ने जवाब दिया कि प्रवासियों का परीक्षण किया जाना चाहिए था और उन्हें केवल राज्य सरकारों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए था. बल्कि 'इसे केंद्र द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए था.'
बनर्जी ने जोर देकर कहा कि अच्छे एनजीओ को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को खाद्य वितरण की समस्या से निपटने के लिए लोगों को अस्थायी राशन कार्ड सौंपने चाहिए. बनर्जी ने आगे कहा कि भारत में मांग को पुनर्जीवित करने के लिए एक बड़े प्रोत्साहन पैकेज के साथ आना चाहिए.
उन्होंने कहा, "हमें प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता है. अमेरिका, जापान, यूरोप यही कर रहे हैं. हमने एक बड़े प्रोत्साहन पैकेज पर निर्णय नहीं लिया है. हम अभी भी जीडीपी के 1% के बारे में बात कर रहे हैं. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जीडीपी के 10% के लिए चला गया है. "