India China meet: मुलाकात के दौरान भारर और चीन दोनों पक्षों ने सीमा से संबंधित मुद्दों पर किए गए समाधानों का मूल्यांकन करते हुए बॉर्डर की स्थिति को और तनावमुक्त बनाने के लिए उपाय करते हुए उन्हें लगातार व्यापक एवं प्रभावी ढंग से लागू करने पर सहमत जताई.
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India-China Border Talks: भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को व्यापक रूप से हल करने के लिए अक्टूबर में हुए समझौते को लागू करते हुए सीमाओं पर स्थिति को और तनावमुक्त बनाने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में वार्ता के एक दिन बाद यह बात कही. चीन और भारत ने नई दिल्ली में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए बने वर्किंग सिस्टम की 32वीं बैठक की और दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखने तथा सीमा क्षेत्रों में स्थायी शांति और स्थिरता की रक्षा करने पर सहमति जताई गई.
दिल्ली के मंथन में क्या निकला?
दोनों पक्षों ने सीमा से संबंधित मुद्दों पर किए गए समाधानों का सकारात्मक मूल्यांकन किया और सीमा की स्थिति को और तनावमुक्त बनाने के लिए उपाय करते हुए उन्हें लगातार व्यापक एवं प्रभावी ढंग से लागू करने पर सहमत हुए. पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय पहले शुरू हुए सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद डब्ल्यूएमसीसी की यह पहली बैठक है. सैन्य टकराव की स्थिति ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था.
बातचीत पर फोकस दोनों देशों के नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण सहमति के बाद, बैठक में चीन-भारत सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के अगले दौर की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया. दोनों पक्षों ने सीमा वार्ता तंत्र की भूमिका का लाभ उठाते रहने, राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखने और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी शांति और स्थिरता की रक्षा करने पर भी सहमति व्यक्त की. विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार की वार्ता पर अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दोनों पक्षों ने भविष्य में इस तरह के टकराव को रोकने के लिए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद से सीखे गए सबक पर विचार किया. गुरुवार को WMCC की बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की. दोनों पक्षों ने सीमा के प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक की भी तैयारी की. विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘दोनों पक्षों ने सीमा से पीछे हटने के हालिया समझौते को लागू करने की सकारात्मक पुष्टि की है. इस समझौते के तहत 2020 में उभरे मुद्दों को हल किया गया.’ भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में एक घातक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था.
गतिरोध खत्म: MEA
समझौते को 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था जिसके तहत डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले अंतिम दो बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया. समझौता होने के दो दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी शहर कजान में ब्रिक्स समिट के मौके पर चर्चा की थी. उस मुलाकात में, दोनों पक्षों ने सीमा के सवालों पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई संवाद तंत्रों को पुनर्जीवित करने पर सहमति जताई गई. बातचीत के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी पक्ष की ओर से विदेश मंत्री वांग यी मौजूद रहे.
विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत को लेकर कहा, ‘विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक की तैयारी हो चुकी है. दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में स्थिति की समीक्षा की और 2020 की घटनाओं से सीखे गए सबक पर विचार किया है, ताकि उन घटनाओं का रिपीटेशन रोका जा सके. इस सिलसिले में, विभिन्न तंत्रों के जरिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्कों का ध्यान रखा गया. दोनों सरकारों के बीच प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और समझ के मुताबिक प्रभावी बॉर्डर सेफ्टी मैनेजमेंट और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमत बनी है.’