भारत ने चीन के 3 पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा, खुफिया एजेंसियों ने जताई थी 'चिंता'
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भारत ने चीन के 3 पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा, खुफिया एजेंसियों ने जताई थी 'चिंता'

भारत ने चीन के तीन पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों द्वारा 'चिंता' जताए जाने के बाद भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। चीन के तीन पत्रकारों को 31 जुलाई तक देश छोड़ने के लिए कहा गया है। ये तीनों पत्रकार चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के लिए काम करते हैं।  

भारत ने चीन के 3 पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा, खुफिया एजेंसियों ने जताई थी 'चिंता'

नई दिल्ली : भारत ने चीन के तीन पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों द्वारा 'चिंता' जताए जाने के बाद भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। चीन के तीन पत्रकारों को 31 जुलाई तक देश छोड़ने के लिए कहा गया है। ये तीनों पत्रकार चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के लिए काम करते हैं।  

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि शायद यह पहली बार है जब भारत ने चीन के पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा है। इन तीनों पत्रकारों को पिछले सप्ताह 31 जुलाई तक देश छोड़ने के लिए कहा गया। हाल के दिनों में खुफिया एजेंसियों ने इन पत्रकारों की गतिविधियां संदिग्ध पाईं और इस बारे में अपनी रिपोर्ट सरकार को दी जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया।  

ये पत्रकार हैं शिन्हुआ के दिल्ली ब्यूरो के प्रमुख वू कियांग और मुंबई में दो संवाददाता तांग लू और मा कियांग। तीनों ने अपनी जगह नए लोगों के आने तक अपनी वीजा की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि, दूतावास सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया है। दूतावास ने मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है।

डेली टाईम्स के अनुसार ऐसे बयान देकर वाकई, प्रधानमंत्री शरीफ भारत के प्राधिकार को चुनौती दे रहे हैं तथा न केवल पाकिस्तान बल्कि कश्मीरियों के लिए भी और मुसीबतों को न्यौता दे रहे हैं। संपादकीय कहता है कि कश्मीर पर विवाद वार्ता या युद्ध के मार्फत हल किया जा सकता है।

उसने कहा, ‘सात दशक पुराने इस विवाद का कोई अन्य हल नहीं है।’ अखबार ने सवाल किया कि जब पाकिस्तान खुद ही कई चुनौतियों से जूझ रहा है जो उसके अपने स्थायित्व के लिए खतरा पैदा कर रही हैं, तो ऐसे में वह कश्मीरियों को क्या दे सकता है? और जमीन पर कब्जा करने की चर्चा करने के बजाय पाकिस्तान सरकार को कश्मीर के अपने नियंत्रण वाले हिस्से को आदर्श राज्य बनाने की जरूरत है जहां कश्मीरी खुशी खुशी रहने की इच्छा करें।

उसने कहा कि पिछले 67 वर्षों से पाकिस्तान अपने हिस्से वाले कश्मीर में सुशासन सुनिश्चित करने में विफल रहा। इतना ही नहीं, देश के कई क्षेत्र अब भी उपेक्षा का सामना कर रहे हैं जहां लोगों को जीवन की मूलभूत जरूरतों तक पहुंच नहीं है।

‘राजनीतिक हल’ का आह्वान करते हुए उसने पाकिस्तान और भारत की सरकारों से द्विपक्षीय मुद्दों का सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से हल करने की अपील की और कहा, ‘उन्हें व्यापक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हित के लिए समझौता करना चाहिए।’

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