सरकार किसी भी चुनौती से निपटने, रिसर्च का वातावरण सुधारने के लिए प्रतिबद्ध: PM मोदी
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सरकार किसी भी चुनौती से निपटने, रिसर्च का वातावरण सुधारने के लिए प्रतिबद्ध: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ‘‘भारत में तीव्र दिमाग वाले लोग हैं. भारत में खुलापन और निषपक्षता की संस्कृति है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार किसी भी चुनौती से निपटने और अनुसंधान का वातावरण सुधारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

सरकार किसी भी चुनौती से निपटने, रिसर्च का वातावरण सुधारने के लिए प्रतिबद्ध: PM मोदी

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वैश्विक समुदाय को भारत की प्रतिभा में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी चुनौती से निपटने और अनुसंधान का वातावरण सुधारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चार दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) के छठे संस्करण का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज विज्ञान की सबसे बड़ी दीर्घकालिक चुनौती उच्च गुणवत्ता वाले युवाओं को आकर्षित करना और उन्हें रोके रखना है.

भारत के पास है कई चुनौतियों का हल
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास भारत को वैज्ञानिक शिक्षा के लिए सबसे विश्वसनीय केंद्र के रूप में विकसित करने पर केंद्रित हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों को अवसर प्रदान के लिए हैकाथॉन का आयोजन करना और उसमें भाग लेना इसी प्रयास के तहत उठाया गया एक कदम है. मोदी ने इस अवसर पर वैश्विक समुदाय का भारत और भारत की प्रतिभा में निवेश करने का आह्वान किया. पीएम ने कहा, ‘‘भारत में तीव्र दिमाग वाले लोग हैं. भारत में खुलापन और निषपक्षता की संस्कृति है.’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार किसी भी चुनौती से निपटने और अनुसंधान का वातावरण सुधारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.’’ उन्होंने कहा कि देश में जल का अभाव, प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा जैसी अनेक चुनौतियां हैं, जिनका आधुनिक हल विज्ञान के पास है. उन्होंने कहा कि समुंदर में जो जल, ऊर्जा और खाद्य का खजाना है, उसे तेजी से पता लगाने में भी विज्ञान की बड़ी भूमिका है.

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अंतरिक्ष की तरह गहरे समुद्र में पानी है सफलता
मोदी ने कहा, ‘‘जिस तरह हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता पाई, वैसे ही हमें गहरे समुद्र के क्षेत्र में भी सफलता पानी है. भारत इसके लिए ‘डीप ओशन मिशन’ भी चला रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ विज्ञान में जो कुछ नया हासिल किया जा रहा है इसका लाभ हमें वाणिज्य में, व्यापार-कारोबार में भी होगा.’’उन्होंने कहा, ‘‘अब जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार किए गए हैं. इससे हम अपने युवाओं को, देश के निजी क्षेत्र को भी आसमान ही नहीं असीम अंतरिक्ष की बुलंदियां छूने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जो नई उत्पादन लिंक्ड इनसेंटिव योजना है, इसमें भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े क्षेत्रों पर फोकस रखा गया है.’’

देश के वैज्ञानिकों ने किए क्रांतिकारी कार्य
उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से विज्ञान समुदाय को बल मिलेगा, विज्ञान और प्रौद्योगिक से जुड़ा तंत्र बेहतर होगा. इससे विज्ञान और उद्योग जगत के बीच साझेदारी की एक नई संस्कृति तैयार होगी. प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश के वैज्ञानिकों ने क्रांतिकारी कार्य किए हैं और देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की समृद्ध विरासत है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष में भारत की एक समृद्ध विरासत रही है और आज भारत ‘ग्लोबल हाईटेक पावर’ के विकास और क्रांति का केंद्र बन रहा है. उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी भारत में अभाव और प्रभाव के अंतर को कम करने में सेतु का काम कर रहे हैं.

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गांव का किसान डिजिटल पेमेंट कर रहा
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज गांव में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या शहरों से ज्यादा है. गांव का गरीब किसान भी डिजिटल पेमेंट कर रहा है. आज भारत की बड़ी आबादी स्मार्ट फोन आधारित ऐप से जुड़ चुकी है. आज भारत ग्लोबल हाईटेक पावर (वैश्विक उच्च प्रौद्योगिकी शक्ति) के विकास और क्रांति दोनों का केंद्र बन रहा है.’’उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से गरीब से गरीब को भी सरकार के साथ सीधे जोड़ा गया है और सामान्य भारतीयों को ताकत भी दी है और सरकारी सहायता की सीधी तेज आपूर्ति का भरोसा दिया है.

भारत में बन रहा बहुत बड़ा सेतु
उन्होंने कहा, ‘‘बीते छह साल में युवाओं को अवसरों से जोड़ने के लिए देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग का विस्तार किया गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी भारत में अभाव और प्रभाव के अंतर को भरने का बहुत बड़ा सेतु बन रहे हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कोरोना के टीके के इजाद में लगे वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि विज्ञान व्यक्ति के अंदर के सामर्थ्य को बाहर लाता है. उन्होंने कहा,, ‘‘यही भावना हमने कोविड वैक्सीन के लिए काम करने वाले हमारे वैज्ञानिकों में देखी है. हमारे वैज्ञानिकों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें बेहतर स्थिति में रखा है.’’ केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन भी इस अवसर पर उपस्थित थे. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू महोत्सव के आखिरी दिन 25 दिसंबर को संबोधित करेंगे.

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आत्मनिर्भर भारत और विश्व कल्याण के लिए विज्ञान है IISF 2020 का विषय
इस बार आईआईएसएफ-2020 का विषय ‘‘आत्मनिर्भर भारत और विश्व कल्याण के लिए विज्ञान’’ रखा गया है. इस महोत्सव का आयोजन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित विज्ञान भारती, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. वर्ष 2015 में शुरू हुआ आईआईएसएफ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने का एक उत्सव है. इसका उद्देश्य जनता को विज्ञान से जोड़ना, विज्ञान की खुशी को मनाना और यह दिखाना कि कैसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) जीवन में सुधार के लिए समाधान उपलब्ध करा सकते हैं.

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