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Environmental Performance Index: 2022 की दुनिया की पर्यावरण रैंकिंग में भारत नीचे से फर्स्ट आया है. 180 देशों के Environmental Performance Index में भारत 180वें नंबर पर है. ये रैंकिंग अमेरिका से जारी की गई है. अमेरिका 180 देशों की इस लिस्ट में 43वें स्थान पर है. अमेरिका के रिसर्चर्स ने ये रैंकिंग 40 पैरामीटर्स के हिसाब से जारी की है. दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन्स के लिए जिम्मेदार अमेरिका इस रैंकिंग में 43वें नंबर पर है.
इस रैंकिंग के लिए क्लाइमेट चेंज, बायोडाइवर्सिटी यानी जैव विविधता, खेती और ग्रीन हाउस गैसों के प्रदूषण जैसे मानकों को आधार बनाया गया है. भारत को सबसे खराब रैंकिंग वायु प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसों के प्रदूषण की वजह से मिली है.
हम ये नहीं कह रहे हैं कि पर्यावरण के पैमाने पर भारत की हालत अच्छी है. देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर के शहर तो अब सर्दी ही नहीं गर्मियों में भी प्रदूषण की वजह से धुंधले ही नजर आते हैं. बेशक भारत प्रदूषण की चुनौती से जूझ रहा है लेकिन अमेरिका जो इस रैंकिंग में 43वें स्थान पर बना है. उसकी हालत कैसी है इसे समझने के लिए इस रिपोर्ट की गहराई में जाना होगा.
Environmental Performance Index के मुताबिक 2050 तक भारत और चीन प्रदूषण फैलाने वाले दो सबसे बड़े देश होंगे. और रिपोर्ट में इसके पीछे वजह भी बताई गई है. अब ध्यान से सुनिए– रिपोर्ट के मुताबिक रैंकिंग में सबसे नीचे आने वाले देशों ने आर्थिक प्रगति को ज्यादा तवज्जो दी है और पर्यावरण से समझौता किया है.
1 डेनमार्क, 2 ब्रिटेन (यूके), 3 फिनलैंड, 4 माल्टा, 5 स्वीडन
1 भारत, 2 म्यांमार, 3 वियतनाम, 4 बांग्लादेश, 5 पाकिस्तान
अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय औसतन 46 लाख 61 हजार रुपये है. यानी एक दिन में अमेरिका में एक व्यक्ति 12 हजार 777 रुपये कमा लेता है. जबकि भारत में प्रति व्यक्ति आय सालाना 5 लाख 57 हजार रुपये है. यानी एक दिन में एक व्यक्ति केवल 1526 रुपये ही कमा पाता है. (कमाई के आंकड़े का Source – Worldometer)
अमेरिका और भारत के बीच इनकम का ये फर्क 8 गुना का है. ठीक इसी तरह प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के मामले में भी अमेरिका और भारत के बीच का फर्क 8 गुना का है. जैसे अमेरिका का एक व्यक्ति एक भारतीय के मुकाबले 8 गुना ज्यादा पैसे कमा लेता है. वैसे ही अमेरिका का एक व्यक्ति एक भारतीय के मुकाबले 8 गुना ज्यादा कार्बन फुटप्रिंट छोड़ता है. अमेरिका का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन - 15.52 टन सालाना है. जबकि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1.91 टन सालाना है. (Source – Worldometer)
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इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की सबसे बड़ी लड़ाई प्रदूषण से ही है और बेशक भारत को अपने नागरिकों का जीवन सुधारना है तो आर्थिक प्रगति और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा. और भारत को बहुत काम करने की जरूरत है.
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