लोकतंत्र और आर्थिक विकास चल सकते हैं एक साथ, भारत ने करके दिखाया है : PM मोदी
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लोकतंत्र और आर्थिक विकास चल सकते हैं एक साथ, भारत ने करके दिखाया है : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और निवेश के शीर्ष पसंदीदा स्थलों में से एक है। यहां आर्थिक सुधार की गति सही दिशा में आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा, भारत ने इस मिथक को तोड़ा है कि लोकतंत्र और तेज आर्थिक विकास एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने यह दिखा दिया है कि उसकी तरह एक बड़ा और विविध देश भी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक स्थिरता भी बनाए रख सकता है। 

लोकतंत्र और आर्थिक विकास चल सकते हैं एक साथ, भारत ने करके दिखाया है : PM मोदी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और निवेश के शीर्ष पसंदीदा स्थलों में से एक है। यहां आर्थिक सुधार की गति सही दिशा में आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा, भारत ने इस मिथक को तोड़ा है कि लोकतंत्र और तेज आर्थिक विकास एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने यह दिखा दिया है कि उसकी तरह एक बड़ा और विविध देश भी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक स्थिरता भी बनाए रख सकता है। 

भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से संयुक्त रूप से यहां आयोजित ‘एडवांसिंग एशिया’ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा एजेंडा सुधार से परिवर्तन तक है, जिसे पूरा होना अभी बाकी है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण यहां उद्यमिता का भी विकास हो रहा है। मोदी ने कहा कि कई लोगों ने कहा है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है और रहेगी और इसमें भारत का विशेष स्थान है। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद की एक किरण हैं। 

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड के साथ मंच साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार जारी हैं, पर ये अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की वास्तविकताओं को दर्शा नहीं पाए हैं। उन्होंने आईएमएफ द्वारा कोटा में बदलाव के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, मैं बहुत खुश हूं कि आईएमएफ ने अक्टूबर 2017 तक कोटा में अगले दौर के बदलावों को अंतिम रूप देने का फैसला किया है। मोदी ने यह बात ऐसे समय में कही है, जबकि उनकी सरकार ने एक दिन पहले ही आईएमएफ में भारत का कोटा बढ़ाने की मांग करते हुए संसद में 69,575 करोड़ रुपये के अनुपूरक अनुदान की मांग को रखा है।

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