लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सड़क यातायात सुधार रहा है भारत
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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सड़क यातायात सुधार रहा है भारत

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक के लिए भारत बेहतर सड़क बनाने की दिशा में काम कर रहा है। शत्रुतापूर्ण इलाके में खराब मौसम के कारण अक्सर यहां का रास्ता बंद हो जाता है।

नई दिल्ली : लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक के लिए भारत बेहतर सड़क बनाने की दिशा में काम कर रहा है। शत्रुतापूर्ण इलाके में खराब मौसम के कारण अक्सर यहां का रास्ता बंद हो जाता है।

उल्लेखनीय है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के निर्माण के बीच भारत के लिए इन सड़कों का ढांचागत उन्नयन करना ‘रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण’ है। रणनीतिक महत्व के ठिकानों पर सड़कों का रख-रखाव करने वाले सीमा सड़क संगठन ने इसके लिए केन्द्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरई) से संपर्क किया है। संगठन ने सीआरआरई से वास्तविक नियंत्रण रेखा में स्थित ससोमा से सासेर ब्रांगसा तक के अजीब इलाके की इस 55 किमी लंबी मुख्य सड़क के उन्नयन के लिए संभव उपायों के बारे में पूछा है।

भारत, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पर बारीक निगाह रखे हुये है। दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों में शामिल इस इलाके का यह गलियारा चीन और पाकिस्तान को जोड़ेगा। ढांचागत सड़कों को बेहतर बनाकर यह गलियारा अपने आप में खुद रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण बन रहा है। इस इलाके की 55 किमी लंबी सड़क में से करीब 10 किमी का टुकड़ा शत्रुतापूर्ण इलाके और खराब मौसम के कारण अक्सर बाधित रहता है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस सड़क को और छोटा होना चाहिये, लेकिन लगातार भूस्खलन, कड़ाके की सर्दी और भारी बर्फबारी के कारण यह रास्ता करीब छह-सात महीने तक बंद रहता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय स्वयं इस परियोजना की निगरानी कर रहा है। इस सड़क को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के विकल्प के रूप में भी जाना जाता है। सीआरआरआई, वज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद् (सीएसआईआर) के अन्तर्गत काम करता है, जबकि सीएसआईआर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था है।

सीएसआईआर सड़क शोध कार्यो की विशेषज्ञ परिषद् है और अनेक राज्य सरकारें एवं स्थानीय निकाय अपने अधिकार क्षेत्र में सड़कों के सुधार कार्य के लिए इसकी सेवायें लेते हैं। सीमा सड़क संगठन के संपर्क करने के बाद सीआरआरआई ने रडार एवं अन्य तकनीकी के जरिये इस इलाके का स्थलाकृतिक सर्वेक्षण किया। सीआरआरआई के निदेशक सतीश चन्द्रा ने कहा कि हमने इस सड़क के लिए छोटी और लंबी अवधि के उपाय सुझाये हैं, लेकिन इस पर अमल करना सीमा सड़क संगठन का काम है। उन्होंने बताया कि सीआरआरआई ने छोटी अवधि के उपाय के तहत सड़क के उपर बर्फबारी से बचने वाली छत बनाने का सुझाव दिया है। जबकि लंबी अवधि के उपाय के तहत भूस्खलन जैसे नुकसान से बचाने के लिए हर मौसम में सड़क को फिर से बनाने के उपाय दिये गये हैं।

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