भारत-इटली के बीच शुक्रवार को वर्चुअल समिट (Virtual Summit) का आयोजन हुआ, जिसमें ग्लोबल सप्लाई चेन में विविधता लाने पर जोर रहा. कोरोना महामारी के इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी पांचवीं वर्चुअल समिट में शामिल हुए, जिनमें भारत व अन्य देशों के प्रमुख शामिल हुए.
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नई दिल्ली: भारत-इटली के बीच शुक्रवार को वर्चुअल समिट (Virtual Summit) का आयोजन हुआ, जिसमें ग्लोबल सप्लाई चेन में विविधता लाने पर जोर रहा. कोरोना महामारी के इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी पांचवीं वर्चुअल समिट में शामिल हुए, जिनमें भारत व अन्य देशों के प्रमुख शामिल हुए. प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, डेनमार्क और मालदीव के राष्ट्र प्रमुखों के साथ ऐसी वर्चुअल समिट में हिस्सा ले चुके हैं. भारत-इटली के बीच वर्चुअल समिट (India-Italy Virtual Summit) के दौरान कुल 15 समझौतों पर भी सहमति बनी.
चीन पर निर्भरता कम करने की तैयारी
भारत ऐसा वैश्विक सप्लाई चेन बनाने में यकीन रखता है, जिसमें किसी भी एक देश पर सभी देश निर्भर न रहें. मौजूदा समय में वैश्विक सप्लाई चेन में चीन का दबदबा है, लेकिन भारत व अन्य सहयोगी देश चीन पर निर्भरता को कम करने की कवायद में जुटे हैं, जिसके लिए भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका हाथ मिला चुके हैं. अब इटली भी इसे समर्थन देने की तैयारी कर रहा है. डेनमार्क के साथ भी इसे लेकर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है.
कोरोना महामारी और जी20 समिट पर भी बात
वर्चुअल समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली (Italy) के प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे (Prime Minister Giuseppe Conte) में कोरोना महामारी से नुकसान पर चर्चा के साथ ही जी-20 समिट को लेकर भी बातचीत हुई. इटली अगले साल जी-20 समिट की मेजबानी करेगा, तो भारत 2022 में. विदेश मामलों के मंत्रालय के सचिव (पश्चिमी यूरोप) संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि इटली ने भारत के साथ मिलकर सप्लाई चेन में विविधता लाने और निवेश में सहयोग पर जोर दिया. जिससे दोनों ही देशों के आर्थिक हित सुरक्षित रहें.
इंडो-पैसिफिक रीजन पर बात
भारत-इटली ज्वाइंट स्टेटमेंट में दोनों ही देशों ने इंडो-पैसिफिक रीजन को बुनियादी इलाके के तौर पर महत्व दिया है. इंडो-पैसिफिक रीजन से एशिया और यूरोप के अलावा अन्य देशों के भी व्यापार का महत्वपूर्ण रास्ता है.
दोनों देशों के बीच 15 एमओयू पर हस्ताक्षर
भारत और इटली के बीच वर्चुअल समिट में 15 एमओयू भी साइन हुए. ये एमओयू व्यापार, तकनीकी, शिपिंग और उर्जा के क्षेत्र में साइन हुए.