रेल मंत्री ने बताया कि पहले स्टेशन मास्टर ट्रेन के आगमन-प्रस्थान का डाटा लिखता था, जो आगे तक बढ़ते हुए ठीक कर दिया जाता. यानि ट्रेन के लेट होने का रिकॉर्ड कागजों में सही कर दिया जाता और बताया जाता कि ट्रेन ठीक चल रही है.
Trending Photos
नई दिल्ली : भारतीय ट्रेनों की लेटलतीफी पिछले कुछ समय में कैसे कम हो पाई, यह एक बड़ा सवाल है. साथ ही अब भविष्य में ट्रेनें लेट नहीं चलेंगी. इसके पीछे की बड़ी वजह मोदी सरकार द्वारा उठाया गया एक अहम कदम है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ZEE NEWS के मंच पर राजनीति के महासंवाद 'इंडिया का DNA' में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी से बातचीत में इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह लेट चलने वाली ट्रेनों का डाटा नीचे से ऊपर तक आते-आते दुरुस्त कर दिया जाता. इस पर लगाम लगाने के लिए रेलवे द्वारा डाटा लॉगर का इस्तेमाल किया गया. इन डाटा लॉगरों के जरिये ही ट्रेनों की लेटलतीफी का आलम सही हो पाया.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस बातचीत में कहा कि रेलवे मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद मैंने ट्रेनों के लेट होने को काफी गंभीरता से लिया. उन्होंने बताया कि इस बारे में जब उन्हें आंकड़े दिखाए जाते तो वे समझ नहीं पाते की आखिर लेट चलने के बावजूद कागजों में सही कैसे चल रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने इसका जड़ में जाकर विश्लेषण किया.
रेल मंत्री ने बताया कि पहले स्टेशन मास्टर ट्रेन के आगमन-प्रस्थान का डाटा लिखता था, जो आगे तक बढ़ते हुए ठीक कर दिया जाता. यानि ट्रेन के लेट होने का रिकॉर्ड कागजों में सही कर दिया जाता और बताया जाता कि ट्रेन ठीक चल रही है. इसके बाद हमने हर जंक्शन पर 96 डाटा लॉगर गए. इस पर केवल एक करोड़ का खर्च आया. इसके बाद डाटा में बीच की हेराफेरी का कोई सवाल ही नहीं बचा.
रेल मंत्री ने बताया कि 31 मार्च तक ट्रेनों की लेटलतीफी के रिकॉर्ड को लेकर यही अवस्था थी. लेकिन इसके बाद एक अप्रैल 2019 से यानि आज से एक साल पहले 96 डाटा लॉगरों ने काम करना शुरू किया. अब मेरे पास सही डाटा है और मैं इस पर कार्रवाई करता हूं. अब हम एक-एक जोन पर काम करते हैं. 17 जोन दिनभर बैठकर काम कर रहे हैं. हमने कार्रवाई की और हम ट्रेनों को सही समय पर चलाने में कामयाब हुए हैं. अब ट्रेन लेट नहीं होती हैं, क्योंकि लगातार निगरानी की जाती है.