पूर्वी लद्दाख में चीन (China) के साथ पिछले 5 महीने से गंभीर तनातनी के बीच पिछले कुछ समय से भारत (India) अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन करने में लगा है. चीन की नौ शक्ति का जवाब देने के लिए भारत ने पिछले दो दिनों नेवी के दो संहारक हथियारों का परीक्षण किया है.
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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन (China) के साथ पिछले 5 महीने से गंभीर तनातनी के बीच पिछले कुछ समय से भारत (India) अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन करने में लगा है. चीन की नौ शक्ति का जवाब देने के लिए भारत ने पिछले दो दिनों नेवी के दो संहारक हथियारों का परीक्षण किया है. जो युद्ध की स्थिति में चीन के सपनों को पानी में मिला सकते हैं.
हर वक्त दुश्मन पर प्रहार के लिए तैयार
बता दें कि चीन की विस्तारवादी साजिश का जवाब देने के लिए भारत ने अरब सागर में एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस परीक्षण की तस्वीरें देखकर दुश्मन की नींद उड़ना तय है. INS प्रबल (INS Prabal) हर वक्त दुश्मन पर प्रहार के लिए तैयार रहता है. इसकी एक झलक दुश्मन देशों के युद्धपोतों के लिए खतरे का सिग्नल होती है.
बिजली की तेजी से हमला करती हैं मिसाइलें
भारत ने इसी INS प्रबल एंटी शिप मिसाइल का परीक्षण किया है. ये मिसाइल बिजली की रफ्तार से दुश्मन देश के जहाज पर हमला करती है. जब तक दुश्मन को इस हमले का पता चल पाता है तब तक उसके चिथड़े उड़ चुके होते हैं. यह मिसाइल उसे इस कदर बर्बाद करती है कि वो युद्धपोत चंद नॉटिकल दूरी भी तय नहीं कर पाता.
तटीय सुरक्षा और युद्ध दोनों में काम आ सकता है
जिस INS प्रबल से एंटी शिप मिसाइल का परीक्षण किया गया है. उसे भारतीय नौसेना का बाहुबली माना जाता है. इस जहाज को 11 अप्रैल 2002 में नेवी में शामिल किया गया था. यह युद्धपोत समंदर में 60 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार से चलता है. यह मल्टीपर्पज़ युद्धपोत हैं. इसे कोस्टल एरिया की सुरक्षा और युद्ध दोनों में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह युद्धपोत कई तरह के हथियारों से लैस है और इसमें लंबी दूरी की कई मिसाइलें लगी हुई हैं.
खतरनाक KH-35 एंटी-शिप मिसाइलों से लैस है INS प्रबल
INS प्रबल पर 16 KH-35 एंटी-शिप मिसाइलें तैनात रहती हैं. यही बात प्रबल को खास बनाती है. रूस की KH-35 मिसाइल को बहुत घातक मिसाइल माना जाता है. K-35 एक सबसॉनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल है. इन मिसाइलों की रेंज 130 किलोमीटर तक है. ये 480 किग्रा हथियार ले जा सकती है. इसे फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत से दागा जा सकता है. URAN मिसाइल सिस्टम में 16 मिसाइलें होती हैं.
भारत ने नौसेना को मजबूत कर चीन को दिया जवाब
बता दें कि कुछ दिन पहले चीन ने भारत को धमकी दी थी कि अगर वो ताइवान से दोस्ती बढ़ाएगा तो वह हिंद महासागर में भारत को घेरेगा. लेकिन इस धमकी के बाद भारत ने प्रबल प्रहार करके अपनी शक्ति दिखा दी है. उसे पता चल गया होगा कि जमीनी सीमा हो या समंदर, भारत उससे कहीं भी निपट सकता है.
INS कवरत्ती भी भारतीय नौसैनिक बेड़े में शामिल
इससे पहले भारतीय नौसेना ने गुरुवार को एंटी सबमरीन वॉरशिप INS कवरत्ती (INS kavaratti) को अपने बेड़े में शामिल किया. आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आईएनएस कवरत्ती को भारतीय नौसेना को सौंपा. ये स्वदेशी युद्धपोत भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ा रहा है.
दुश्मन की पनडुब्बियों के लिए बुरी ख़बर
INS कवरत्ती दुश्मन देशों की पनडुब्बियों के लिए काल है. ये युद्धपोत पनडुब्बी को तबाह करने की क्षमता रखता है. ये एक स्टेल्थ वॉरशिप है. स्टेल्थ तकनीक का फायदा ये है कि इससे ये जहाज दुश्मन के राडार की पकड़ में नहीं आ सकता है. इस युद्धपोत में एंटी सबमरीन रॉकेट और टॉरपीडो लगाए गए हैं. युद्धपोत में 90 फीसदी स्वदेशी उपकरण लगाए गए हैं. इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जो समंदर के अंदर पनडुब्बियों का पता लगाने के साथ-साथ उनका पीछा करने में सक्षम हैं.
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परमाणु ,रासायनिक और जैविक हमले को झेलने में भी सक्षम
INS कवरत्ती परमाणु ,रासायनिक और जैविक हमले के समय भी काम करने में सक्षम है. आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति दिलवाने वाले अभियान में अहम रोल निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर रखा गया है. नौसेना में INS कवरत्ती के शामिल होने से भारत की समुद्री सीमाएं अब पहले से सुरक्षित हो जाएंगी.
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