Electricity Shortage: पूरे भारत में तापमान बढ़ रहा है और इसके साथ ही संभावित बिजली संकट की भी चिंता बढ़ रही है. भारत के शीर्ष ग्रिड ऑपरेटर नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) ने मई और जून के दौरान बिजली की भारी कमी की चेतावनी दी है.
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Electricity crisis in India: भारत के ज्यादातर हिस्सों में सर्दी खत्म हो चुकी है और अब गर्मी का असर दिखने लगा है. सूरज चढ़ते ही चिलचिलाती धूप लोगों को बेहाल करने लगी है. लेकिन इस बार सिर्फ गर्मी ही नहीं, बल्कि देश में संभावित बिजली संकट भी चिंता बढ़ा रहा है. नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) ने चेतावनी दी है कि मई और जून के महीनों में बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी कमी हो सकती है. खासकर सुबह और शाम के गैर-सौर घंटों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है.
अगर वक्त रहते सही कदम नहीं उठाए गए, तो बड़े पैमाने पर बिजली कटौती (लोड शेडिंग) हो सकती है. सौर ऊर्जा की सीमाएं, कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की धीमी प्रगति और बढ़ती मांग इस संकट को और बढ़ा सकते हैं. ऐसे में सरकार और बिजली प्रबंधन एजेंसियों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.
बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर
NLDC की रिपोर्ट के मुताबिक, मई और जून में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 15-20 गीगावॉट (GW) का अंतर रह सकता है, खासतौर पर गैर-सौर घंटों (सुबह और शाम) के दौरान. इस अंतर की वजह अगर वक्त पर उपाय नहीं किए गए, तो बड़े पैमाने पर बिजली कटौती (लोड शेडिंग) की नौबत आ सकती है. रिपोर्ट में मई को सबसे चुनौतीपूर्ण महीना बताया गया है, क्योंकि इस दौरान अत्यधिक गर्मी के कारण बिजली की खपत बहुत ज्यादा बढ़ने की संभावना है. साथ ही, बिजली ग्रिड पर दबाव भी बढ़ेगा, क्योंकि मांग और नवीकरणीय ऊर्जा ( Renewable Energy ) उत्पादन में उतार-चढ़ाव भी देखा जाएगा.
बिजली संकट के कारण
सौर ऊर्जा की सीमाएं: सौर ऊर्जा ( Solar Energy ) दिन के वक्त तो पर्याप्त बिजली उत्पन्न कर सकती है, लेकिन सुबह और शाम की मांग को पूरा करना मुश्किल हो जाता है.
कोयला आधारित बिजली प्लांट्स पर निर्भरता: देश में बुनियादी बिजली आपूर्ति ( Baseload Generation) मुख्य रूप से कोयला आधारित संयंत्रों पर निर्भर है. लेकिन इन संयंत्रों की उत्पादन क्षमता बढ़ने की बजाय स्थिर बनी हुई है, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है.
समाधान और सरकार की सिफारिशें
बिजली भंडारण की कमी: भारत में अभी भी उन्नत बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) और पंप्ड स्टोरेज प्लांट (PSP) जैसे भंडारण समाधान व्यापक रूप से मौजूद नहीं हैं, जिससे अतिरिक्त सौर ऊर्जा को बाद में इस्तेमाल के लिए संग्रहित करना संभव नहीं हो पाता. हालांकि, इस संकट को टालने के लिए NLDC ने कुछ उपाय भी सुझाए हैं.
डिमांड साइड मैनेजमेंट (DSM): औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाए कि वे अपनी बिजली खपत को Peak Hours से हटाकर अन्य समय पर शिफ्ट करें.
ऊर्जा भंडारण का विस्तार: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने सौर ऊर्जा के साथ ऊर्जा भंडारण सिस्टम्स, जैसे बैटरी स्टोरेज और पंप्ड स्टोरेज प्लांट्स, को अपनाने की सिफारिश की है, जिससे गैर-सौर घंटों में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
कोयला और अन्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को मजबूत करना: सरकार कोयला आधारित संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने और उनकी दक्षता सुधारने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
बिजली संकट की संभावनाएं
रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 में बिजली की कमी होने की 19% संभावना है, जो बढ़कर 31% तक पहुंच सकती है. वहीं, जून में यह संभावना 4.7% से 20.1% तक रहने की आशंका है. इस साल गर्मियों में बिजली की मांग 270 GW तक पहुंचने की संभावना है, जो 2024 के 250 GW के रिकॉर्ड से भी ज्यादा होगी. ऐसे में बिजली ग्रिड प्रबंधकों के सामने एक बड़ी चुनौती होगी कि वे देशभर में स्थिर और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर सकें.