बलात्कार संबंधी मामलों पर सुनवाई के लिए 1,023 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की जरूरत
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बलात्कार संबंधी मामलों पर सुनवाई के लिए 1,023 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की जरूरत

इन अदालतों का गठन ऐसे मामलों में बेहतर जांच और तेज अभियोजन के लिए आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की एक व्यापक योजना का हिस्सा है.

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: विधि मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि बच्चों एवं महिलाओं से बलात्कार से संबंधित मामलों की सुनवायी की एक नई योजना के तहत पूरे भारत में 1,000 से कुछ अधिक त्वरित विशेष अदालतें ('fast track special courts') गठित करने की जरूरत है. इन अदालतों का गठन ऐसे मामलों में बेहतर जांच और तेज अभियोजन के लिए आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की एक व्यापक योजना का हिस्सा है.

विधि मंत्रालय में न्याय विभाग ने इन अदालतों के गठन में 767.25 करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान लगाया है. विभाग ने गृह मंत्रालय को बताया है कि केंद्र को केंद्रीय वित्त पोषण के तहत 474 करोड़ रुपये देने होंगे.

विधि मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है, ‘...यह अनुमान लगाया गया है कि बलात्कार, पोक्सो कानून के तहत मामलों के निस्तारण के लिए कुल 1,023 त्वरित विशेष अदालतों के गठन की जरूरत है. इस पर 767.25 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है जिसमें से 474 करोड़ रुपये केंद्र को केंद्रीय कोष के तौर पर देने होंगे.’ इस संबंध में विस्तृत विवरण गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है.

नई योजना हाल में लाए गए एक अध्यादेश का हिस्सा है जो अदालतों को 12 वर्ष तक के बच्चों से बलात्कार के दोषी व्यक्तियों को मौत की सजा प्रदान करने की इजाजत देता है.

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