नई दिल्ली: भारत में तेल की सप्लाई बढ़ाने के लिए रूस ने अब एक स्पेशल ऑफर दिया है. रूस, यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले वाली कीमतों पर 35 डॉलर प्रति बैरल की छूट भारत को देने की पेशकश कर रहा है. इस ऑफर को हाल ही में दिल्ली आए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) ने पेश किया है. 


रूसी विदेश मंत्री ने की भारत की तारीफ 


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हमारी सहयोगी वेबसाइट WION प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव गुरुवार देर रात चीन से दिल्ली पहुंचे. लावरोव ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) के साथ एक बैठक के दौरान अपनी शुरुआती चर्चा में कहा, 'हम इस बात की सराहना करते हैं कि भारत इस स्थिति को पूरी तरह से तथ्यों में ले रहा है, न कि केवल एकतरफा तरीके से.'


रुपया-रूबल मैकेनिज्म पर हो रहा काम


युद्ध के कारण यूक्रेन से आपूर्ति बंद होने के बाद भारत ने रूस से रिकॉर्ड महंगे दाम पर सूरजमुखी तेल खरीदने का कॉन्ट्रेक्ट भी किया है. इसने मास्को की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से परहेज किया है और अपने पुराने और विषम परिस्थियों वाले मित्र और हथियारों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता से रूसी तेल खरीदना जारी रखा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत और रूस व्यापार को सुविधाजनक बनाने और रूसी बैंकों पर पश्चिमी प्रतिबंधों को दूर करने के लिए एक रुपया-रूबल मैकेनिज्म पर काम कर रहे हैं.


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रूस ने की ये गुजारिश


इकोनॉमिक टाइम्स अखबार के अनुसार, रूस ने भारत के रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर पिछले महीने से रुके हुए 1.3 बिलियन डॉलर के पेमेंट को लेकर गुजारिश की है. सिंगापुर में ऑयल मार्केट एनालिस्ट वांडा इनसाइट्स की संस्थापक वंदना हरि ने कहा, 'भारत में रूसी तेल की खपत कई सालों से बहुत कम होती जा रही है तो रिफाइनरियों को बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदने के लिए कॉन्फिगर नहीं किया गया है.'


जयशंकर ने साधा विरोधियों पर निशाना 


भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर उठाई जा रही चिंताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि 'यह इस मुद्दे पर एक अभियान की तरह है'. भारत की स्थिति का बचाव करते हुए, जयशंकर ने कहा, 'जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो देशों के लिए बाजार में जाना स्वाभाविक है और यह देखना कि उनके लोगों के लिए अच्छे सौदे क्या हैं. मुझे पूरा यकीन है कि अगर हम दो या तीन महीने इंतजार करें और वास्तव में देखें कि रूसी गैस और तेल के बड़े खरीदार कौन हैं, तो मुझे शक है कि लिस्ट पहले की तुलना में बहुत अलग नहीं होगी.'


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