1965, 1971 और 1999 कारगिल, जो 3 जंगों के बाद नहीं हुआ, PM मोदी ने 65 साल बाद शरीफ को घुटनों पर ला दिया?
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1965, 1971 और 1999 कारगिल, जो 3 जंगों के बाद नहीं हुआ, PM मोदी ने 65 साल बाद शरीफ को घुटनों पर ला दिया?

India suspension of Indus Waters Treaty: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस बार पूरी तरह पाकिस्तान को बर्बाद करने का प्लान बना लिया है. तभी तो जो काम तीन जंगों के बाद नहीं हुआ, पीएम मोदी सरकार ने बुधवार शाम को कर दिया. जानें पूरा मामला.

1965, 1971 और 1999 कारगिल, जो 3 जंगों के बाद नहीं हुआ, PM मोदी ने 65 साल बाद शरीफ को घुटनों पर ला दिया?

Indus Water Treaty Ends: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए खौफनाक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. जिसके बाद पूरे भारत में लोगों का गुस्सा आसमान पर पहुंचा है. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए, इसमें भारत ने वह किया जो अभी तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. भारत ने 65 साल में पहली बार सिंधु जल संधि पर रोक लगा दी. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, 1965, 1971 और कारगिल जंगों के बाद भी सिंधु जल संधि कभी खत्म नहीं हुई थी.

सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था. जिसे सिंधु जल संधि कहा जाता है. सिंधु नदी में मुख्य नदी सिंधु के साथ-साथ बाएं किनारे की इसकी पांच सहायक नदियां रावी, व्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब हैं. दाएं किनारे की सहायक नदी ‘काबुल’ भारत से होकर नहीं बहती है. रावी, व्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां कहा जाता है जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु मुख्य नदियां पश्चिमी नदियां कहलाती हैं. इसका पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन भारत ने अब सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी को भी रोकने का फैसला किया है. इससे पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में गर्मियों में पानी की कमी हो सकती है, जिससे भयंकर किल्लत होने वाला है.

अभी तक नुकसान उठा रहा था भारत
हालांकि, भारत को घरेलू उपयोग, सिंचाई और पनबिजली उत्पादन के लिए पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग करने की अनुमति है. लेकिन भंडारण क्षमता की कमी के कारण भारत अपने वैध हिस्से का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा है. हालांकि भारत को IWT के अनुसार पश्चिमी नदियों पर 3.6 मिलियन एकड़ फीट तक जल भंडारण क्षमता बनाने का अधिकार है, लेकिन पर्याप्त भंडारण क्षमता नहीं बनाई गई है. इसके अलावा, पश्चिमी नदियों पर बिजली परियोजनाओं से प्राप्त होने वाली 20,000 मेगावाट की अनुमानित बिजली क्षमता में से केवल 3,482 मेगावाट क्षमता का निर्माण किया गया है.अब भारत के पास पूरा मौका है कि वह अपने हिसाब से अपने फायदे के लिए सारा काम करे.

बूंद-बूंद के लिए तरसेगा पाकिस्तान
सिंधु नदी को पाकिस्तान की लाइफलाइन नदी कहा जाता है. है. सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब जलधारा को माना जाता है. यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है. नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है. इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है. साथ ही, घरों में पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए इस नदी का अधिकांश पानी ही इस्तेमाल किया जाता है. इसके अतिरिक्त इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं. ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है. अब आप समझ लीजिए कि अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो क्या होगा? पानी बूंद-बूंद को तरस जाएगा.

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